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गृह मंत्री अमित शाह ने पुरुष हॉकी टीम को दी बधाई

तानिया शर्मा

भारत की पुरुष हॉकी टीम ने टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics)  में कांस्य पदक हासिल तक इतिहास बनाया है। ओलंपिक में 41 साल बाद भारत को पदक मिला है। टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक के लिए हुए रोमांचक मुकाबले में भारत की पुरुष हॉकी टीम ने जर्मनी को 5-4 से हराया। मुकाबले में दो बार पिछड़ने के बाद भारत ने जोरदार वापसी। सिमरनजीत सिंह के दो गोल की बदौलत भारत प्ले ऑफ मुकाबले में जर्मनी को 5-4 से हराकर कांस्य पदक जीतने में कामयाब रहा। इसके बाद भारत की पुरुष हॉकी टीम को बधाई देने का तांता लग गया है। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने भी भारतीय टीम को बधाई दी है।

गृह मंत्री अमित शाह ने टीम इंडिया को दी बधाई

जीत के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने भी टीम इंडिया को मिली ऐतिहासिक जीत पर बधाई दी, उन्होंने कहा कि प्रत्येक भारतीय के लिए ये बेहद गर्व और खुशी का क्षण है, हमारी पुरुष हॉकी टीम ने टोक्यो 2020 में कांस्य पदक जीता है। आपने पूरे देश को गौरवान्वित किया है।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी दी बधाई

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा, ‘हमारी पुरुष हॉकी टीम को 41 साल बाद हॉकी में ओलंपिक पदक जीतने के लिए बधाई। ये ऐतिहासिक जीत हॉकी में एक नए युग की शुरुआत करेगी और युवाओं को खेल में आगे बढ़ने और उत्कृष्टता के लिए प्रेरित करेगा।’

पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर दी बधाई

पीएम नरेंद्र मोदी ने टीम को बधाई देते हुए ट्वीट में लिखा, ‘ऐतिहासिक! एक ऐसा दिन, जो हर भारत की इतिहास में अंकित होगा। कांस्य पदक जीतने के लिए हमारी पुरुष हॉकी टीम को बधाई। इस उपलब्धि के साथ, उन्होंने पूरे देश, खासकर हमारे युवाओं की कल्पना पर कब्जा कर लिया है। भारत को अपनी हॉकी टीम पर गर्व है।’

ओलंपिक के इतिहास में भारतीय टीम को सफल टीम मन जायेगा

ओलंपिक के इतिहास में भारतीय टीम को सबसे सफल टीम माना जाता है। अभी तक टीम ने 8 गोल्ड मेडल सहित 12 पदक जीते हैं। भारत ने पुरुष हॉकी में सबसे ज्यादा मेडल जीते हैं। सबसे पहले टीम इंडिया ने 1928 में गोल्ड मेडल जीता था। इसके बाद 1932, 1936, 1948, 1952, 1956, 1964 और 1980 ओलंपिक में भी गोल्ड अपने नाम किया था। इसके अलावा 1960 में सिल्वर और 1968, 1972 और अब यानि 2021 में 41 साल बाद टोक्यो ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया है।

दरअसल, ये महज एक पदक नहीं है, 41 सालों का संघर्ष और न जाने कितने पलों का इंतजार है, कितने करोड़ों लोगों की आशाएं हैं, दुआएं हैं। ये कांस्य भविष्य के स्वर्णिम रास्ते का सबसे अहम दरवाजा है।

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