21 जून को विश्वभर में योग दिवस मनाया जा रहा है। भारतीय संस्कृति सबसे प्राचीन संस्कृति में से एक है। यह वह संस्कृति है जिसने लम्बे समय तक स्वयं को बचाकर रखा है। विश्व की शायद ही कोई ऐसी संस्कृति है जिसका इतिहास भारतीय संस्कृति जितना पुराना और समृद्ध रहा हो। मैकाले द्वारा स्थापित आईपीसी कानून, पुलिस व्यवस्था, शिक्षा व्यवस्था का परिणाम आज हम अपने समाज में आसानी से देख सकते हैं। अभी हाल ही में मध्यप्रदेश में किसानों द्वारा कर्ज माफी के लिये किया जा रहा उग्र प्रदर्शन इसी व्यवस्था की देन हैं। मैकाले द्वारा जो कानून व्यवस्था लागू की गई, वह अधिकारों के आधार पर थी। हमारी संस्कृति के आधार को जाना जाये तो यह निकलकर आता है कि हमारी समझ मूल रूप से यह रही थी कि सबसे पहले हमने प्रकृति के विभिन्न स्वरूप जैसे नदी, तालाब, पेड़ और जीव जन्तु की प्रकृति (नैचर) को समझा है और यह कोशिश की गई कि मनुष्य इन सबका विदोहन करे, ना कि इन सबका विनाश कर अंत में स्वयं को ही खत्म कर डालें। इसलिए प्रकृति और मनुष्य को संबंध से जुडऩा आवश्यक समझा गया और इसके लिए मनुष्य के कत्र्तव्य परिभाषित किये गये। इस व्यवस्था में सिर्फ कत्र्तव्य ही थे और अधिकारों की कोई बात ही नहीं थी। जब एक पिता या पति अपने कत्र्तव्य का पूर्ण निर्वहन करें एवं मां या पत्नि अपने कत्र्तव्य का पूर्ण निर्वहन करें तो विवादों का होना संभव ही नहीं है। अब हुआ ये कि नई व्यवस्था आने के बाद हर व्यक्ति अपने अधिकारों के प्रति सजगता बढ़ाने लगा है। हर व्यक्ति अधिकार लेना चाहने लगा है और यहीं से समाज में सामाजिक वातावरण बिगडऩे लगा है, योग हमारी एक अपनी विरासत है जिसमें हम बाहरी दुनिया से हटकर अपने भीतर स्थिर होने का प्रयास करते है, योग का आशय जुडऩा है जब हम बर्हिमुखी (श्व3ह्लह्म्श1द्गह्म्ह्ल) होते हैं, तो हम बिखरने लगते हैं और जब हम अन्र्तमुखी (ढ्ढठ्ठह्लह्म्श1द्गह्म्ह्ल) होते हैं तो हम जुडऩे लगते हैं। तब हमें अपने कत्र्तव्यों का आभास होने लगता है। आज भी हमारे समाज में बहुत से लोग योग व अपनी संस्कृति से कट से गये हैं। योग में आसन हमें शारीरिक रूप से मजबूत करते हैं, तो प्राणायाम हमें आंतरिक रूप से मजबूत बनाता है। वहीं ध्यान हमारी एकाग्रता की क्षमता को काफी बढ़ा देता है। माना जाता है कि हमारी फिजिकल बॉडी (स्थूल शरीर) को हमारी इमोशनल बॉडी (भावनात्मक शरीर) चलाती है। हमारी इमोशनल बॉडी को मेंटल बॉडी (मानसिक शरीर) चलाती है, हमारी मेंटल बॉडी को इन्टेलक्चुअल बॉडी (बौद्धिक शरीर) चलाती है और हमारी इन्टेलक्चुअल बॉडी को हमारी आत्मा नियंत्रित करती है। यह पॉंचों बॉडी योग द्वारा नियंत्रित रहती हैं व सुचारू रूप से काम करती हैं। योग के लगातार अभ्यास से हमारी छिपी हुई क्षमताओं का विकास होने लगता है आईये योग दिवस पर एक संकल्प लें कि हम योग और अपनी संस्कृति से जुड़ें।
इसी के साथ १८ जून को फॉदर्स डे के अवसर पर मैं आप सभी पाठकों को अपनी शुभकामनायें प्रेषित करता हूं। पिता हमारे जीवन में ज्ञान व विश्वास का प्रतीक है। इस अवसर पर यदि हम उन्हें ह्रदय से धन्यवाद देते है तो हमारा ज्ञान व विश्वास परिपक्व होता है।
आशा है फिर मिलेंगे प्रेम स्नेह व सम्मान के साथ…..
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