सर्दियों में अस्थमा रोगियों के लिए खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में अपनी सेहत के प्रति विशेष रूप से सचेत रहना चाहिए। इस दौरान खुद को स्वस्थ रखा जाए, आइए जानते हंै अस्थमा रोग विशेषज्ञ ‘‘डॉ. वीरेन्द्र सिंह’’ से
1. क्या अस्थमा एक आनुवांशिक बीमारी है?
जी हां, अस्थमा एक आनुवांशिक बीमारी है। जिस तरह व्यक्ति के गुण और अवगुण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को जीन्स के माध्यम से जाते हैं, उसी प्रकार अस्थमा एलर्जी की प्रवृत्ति भी जीन्स के माध्यम से पीढ़ी दर पीढ़ी जाती है।
2. सामान्य भाषा में अस्थमा को कैसे समझाएंगे?
शब्दों में समझना हो तो मैं कहूंगा कि सामान्य तौर पर फेफड़ों में स्वस्थ अवस्था में श्वास नलियों से हवा आसानी से आती जाती है, लेकिन अस्थमा एलर्जी से पीडि़त व्यक्ति में जरा सी उत्तेजना या किसी भी अप्राकृतिक कारण मात्र से श्वास नली सिकुड़ जाती है, जिससे श्वास लेने में तकलीफ होती है।
3. किन कारणों से अस्थमा होता है?
बहुत से वातावरणीय कारक, अस्थमा एलर्जी के रोगी की श्वास नलियों में सिकुडऩ कर देते हैं, ऐसे कारणों को ट्रिगर फैक्टर या अस्थमा एलर्जी कारक कहते हैं। धूल, परागकण, फफूंद, दवाईयां, लगातार फास्ट फूड का इस्तेमाल, तला भोजन, ठण्डा पानी, प्रदूषण, धुंआ, मानसिक तनाव, ठंड आदि अस्थमा एलर्जी के कारक होते हैं।
4. परागकण का क्या अर्थ है? इससे अस्थमा कैसे होता है?
मौसम परिवर्तन से होने वाली अस्थमा-एलर्जी का मुख्य कारण परागकण हंै, जो वातावरण में मौजूद रहते हैं। परागकण एक महीन पाउडर जैसे हैं जो कि फूलों के ऐन्थर से पैदा होते हैं। हवा, पानी या कीड़ों के माध्यम से परागकण फैलते हैं। संवेदनशील रोगी को अस्थमा-एलर्जी तभी होती है जब वह पेड़-पौधों के परागकण उत्पन्न होने के समय उनके सम्पर्क में आता है। छलील (होलोप्टेलिया) का पेड़ जयपुर में परागकण से होने वाले अस्थमा का प्रमुख कारण है।
5. अस्थमा से कैसे बचा जा सकता है?
अस्थमा को बढ़ाने वाले अस्थमा एलर्जी कारकों की पहचान और इन कारणों का इलाज ही सबसे महत्वपूर्ण सीढ़ी है। इसके लिए हमें छोटी-मोटी बातों का ध्यान रखना चाहिए। झाडक़र सफाई करने के बजाए, गीले कपड़े से पौंछकर सफाई करें, दीवारों को सीलन से बचाकर रखें, धूल की जगह पर मास्क पहनकर जाएं, परागकण के महीनों में (मार्च-मई और सितम्बर-नवम्बर) पेड़-पौधों और कीड़े-मकोड़ों से दूर रहें, अन्य किसी रोग की दवाई लेते समय चिकित्सक को अवश्य बतायें कि आपको अस्थमा की तकलीफ है। वह भोजन ना लें, जिनके लेने से आपको अस्थमा-एलर्जी होती है। भारी व्यायाम ना करें, प्रदूषण, धुंआ से बचें, मानसिक तनाव से बचें, ठंड में विशेष ध्यान रखें।
6. इनका रखें विशेष ध्यान
बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती स्त्रियों के लिए दीपावली का धुआं बहुत नुकसानदेह साबित होता है। इसलिए उन्हें ऐसे माहौल से दूर रखने की कोशिश करें। अगर किसी बच्चे को अस्थमा की समस्या हो तो उसे दीपावली के पहले से ही समझाएं कि आतिशबाजी का धुआं सेहत के लिए कितना नुकसानदेह होता है। आप उसके साथ इंटरनेट पर ई-क्रैकर्स चलाएं। इससे आप प्रदूषण रहित दीपावली एंजॉय कर पाऐंगे।
7. खाने में न हो लापरवाही
त्यौहारों के दौरान न चाहते हुए भी खानपान में थोड़ी लापरवाही हो ही जाती है, पर अस्थमा के मरीजों के लिए ऐसा करना ठीक नहीं है। आमतौर पर चॉकलेट, कोल्ड ड्रिंक्स, ड्राई फ्रूटस, तली-भुनी चीजों के सेवन से अस्थमा की एलर्जी बढ़ सकती है। इसके अलावा पेट में गैस बनाने वाली चीजों जैसे राजमा, छोले, चावल आदि के सेवन से भी अस्थमा की शिकायत हो सकती है।