Breaking News
Home / Bhakti / जानिए क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि, क्या है इसका महत्व

जानिए क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि, क्या है इसका महत्व

महाशिवरात्रि हिन्दुओ का धार्मिक त्यौहार है। महाशिवरात्रि भोलेनाथ की आराधना व पूजा का पर्व है, इस दिन भक्तजनो की भीड़ मंदिरो के बाहर लगी रहती है , जो शिव दर्शन को अपना सौभाग्य मानते है। महाशिवरात्र‍ि का पर्व फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस दिन शिवभक्त एवं शिव में श्रद्धा रखने वाले लोग व्रत-उपवास रखते हैं और विशेष रूप से भगवान शिव की आराधना करते हैं। महिलाये व कन्या पूरा दिन उपवास रखती है और अच्छे जीवनसाथी की कामना करती है। महाशिवरात्रि को लेकर कुछ कथाये भी प्रचलित है। जिनमे सबसे प्रसिद्ध कथा समुन्द्र मंथन की कथा है।

शिवरात्रि नाम कैसे पड़ा 

शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव वर्ष में 6 मास कैलाश पर्वत पर रहकर तपस्या में लीन रहते हैं। उनके साथ ही सभी कीड़े-मकौड़े भी अपने बिलों में बंद हो जाते हैं। उसके बाद 6 मास तक कैलाश पर्वत से उतरकर धरती पर श्मशान घाट में निवास किया करते हैं। इनके धरती पर अवतरण प्राय: फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को हुआ करता है। अवतरण का यह महान दिन शिवभक्तों में ‘महाशिवरात्रि’ के नाम से जाना जाता है। शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव सभी जीव-जंतुओं के स्वामी एवं अधिनायक हैं। ये सभी जीव-जंतु, कीट-पतंग भगवान शिव की इच्छा से ही सब प्रकार के कार्य तथा व्यवहार किया करते हैं।

महत्व 

महाशिवरात्रि भारतीयों का एक प्रमुख त्यौहार है। यह भगवान शिव का प्रमुख पर्व है। माघ फागुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। माना जाता है कि सृष्टि का प्रारम्भ इसी दिन से हुआ। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन सृष्टि का आरम्भ अग्निलिंग (जो महादेव का विशालकाय स्वरूप है) के उदय से हुआ। इसी दिन भगवान शिव का विवाह देवी पार्वती के साथ हुआ था। साल में होने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है| भारत सहित पूरी दुनिया में महाशिवरात्रि का पावन पर्व बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है|

महाशिवरात्रि क्यों बनाई जाती है
फाल्गुन चतुर्दशी तिथि पर भगवान शिव ने वैराग्य छोड़कर देवी पार्वती संग विवाह करके गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। इसी वजह से हर वर्ष फाल्गुन चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की खुशी में महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है।फाल्गुन चतुर्दशी तिथि पर भगवान शिव ने वैराग्य छोड़कर देवी पार्वती संग विवाह करके गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। इसी वजह से हर वर्ष फाल्गुन चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की खुशी में महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है।

महाशिवरात्रि का इतिहास

माना जाता है कि सृष्टि की शुरुआत में इसी दिन आधी रात में भगवान शिव का निराकार से साकार रूप में (ब्रह्म से रुद्र के रूप में) अवतरण हुआ था। ईशान संहिता में बताया गया है कि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात आदि देव भगवान श्रीशिव करोड़ों सूर्यों के समान प्रभा वाले लिंगरूप में प्रकट हुए। इस अवसर पर भगवान शिव का अभिषेक अनेकों प्रकार से किया जाता है। जलाभिषेक : जल से और दुग्‍धाभिषेक : दूध से। बहुत जल्दी सुबह-सुबह भगवान शिव के मन्दिरों पर भक्तों, जवान और बूढ़ों का ताँता लग जाता है वे सभी पारम्परिक शिवलिंग पूजा करने के लिए जाते हैं और भगवान से प्रार्थना करते हैं।

राधिका अग्रवाल

Check Also

बियानी ग्रुप ऑफ कॉलेजेज में होली सेलिब्रेशन का हुआ आयोजन

Share this on WhatsAppराइटर : अनुष्का शर्मा जयपुर। विद्याधर नगर स्थित बियानी ग्रुप ऑफ कॉलेजेज …

Gurukpo plus app
Gurukpo plus app