रुस और यूक्रेन के बीच युद्ध जितना लंबा खिंच रहा है, भारतीय नागरिकों और देश के नेताओं की चिंता उतनी ज्यादा बढ़ती जा रही है। युद्ध के खतरे को देखते हुए यूक्रेन में फंसे 15000 के करीब भारतीय नागरिकों को निकालना और मुश्किल होता जा रहा है। साथ ही उनके लिए खतरा भी बढ़ता जा रहा है। यूक्रेन और रूस के बीच खतरनाक होते युद्ध को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के दौरे को बीच में ही छोड़ दिया है। दिल्ली पहुंचते ही उन्होंने यूक्रेन संकट पर हाई लेवल मीटिंग ली। इस बैठक में विदेश मंत्री एस. जयशंकर और विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला समेत तमाम अधिकारी मौजूद रहे।
सूत्रों के मुताबिक, कुछ केंद्रीय मंत्री भारतीयों की वापसी के लिए यूक्रेन के पड़ोसी देशों में जा सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कोई हल नहीं निकलता देख संयुक्त राष्ट्र ने महासभा का विशेष आपातकालीन सत्र बुलाया है। वही यूक्रेन पर जारी रूस के हमलों के बीच दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल बिना शर्त वार्ता के लिए तैयार हो गए हैं। इस वार्ता से युद्ध के थमने की कुछ उम्मीद जागी है। यह वार्ता बेलारूस की सीमा में प्रिपयात नदी के किनारे होगी। बेलारूस के राष्ट्रपति एलेक्जेंडर लुकाशेंको ने यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदोमीर जेलेंस्की को प्रतिनिधिमंडल को पूरी सुरक्षा देने का आश्वासन दिया है।
भारतीय विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने बताया कि हमने अपने मास्को दूतावास से लोगों की एक टीम को वहां भेजा है ताकि उस क्षेत्र की मैपिंग हो जाए और ट्रांसपोर्ट का, खाने का, रहने का इंतजाम किया जाए। उन्होंने कहा भारत सरकार ने अपने नागरिकों को यूक्रेन से निकालने के लिए ऑपरेशन गंगा चलाया है। भारतीय दूतावास ने पोलैंड, रोमानिया, हंगरी और स्लोवाक रिपब्लिक की सीमाओं पर क्रॉसिंग प्वाइंट तय किये हैं, ताकि यूक्रेन से भारतीय नागरिकों को जमीनी रास्ते से निकाला जा सके। इसके अलावा भारतीय नागरिकों की मदद के लिए 24 घंटे चलनेवाले कंट्रोल सेंटर बनाये गये हैं।