आजकल अपने राजस्थान में इन्द्र देव की कृपा से बारिश अच्छी हो रही है। बारिश का पानी हरेक जीव के लिए वरदान है परन्तु पानी खड्डो में, घरों में भरने के कारण उसमें हानिकारक जीवाणुओं की भी उत्पत्ति हो जाती है। जिसका प्रयोग करने से कई बीमारीयाँ फैलती है एवं इन बीमारीयों पर ध्यान न दिया जाए तो यह मृत्युदान भी दे जाती है।
सामान्यत: वर्षा ऋ तु में फैलने वाली निम्नबीमारीयाँप्रमुखहै:
- जुख़ाम: छोटे बच्चे एवं बड़े सभी बारिश में भिगने के कारण जुख़ाम लग जाती है। जुख़ाम के कारण गले में दर्द, सिर दर्द, आँखों में भारीपन, बार-बार छींकना, नाक से पानी आना आदि लक्षण जाते है।
बचाव :
क दिनभर सौंठ से उबला पानी पीना चाहिए।
क तुलसी-पुदीना-हल्दी-अज़वायन-नमक-कालीमिर्च का काढ़ा पीना चाहिए।
क कपूरीपान में दालचीनी-लौंग-शहद-कालीमिर्च डालकर भोजन के बाद चबाकर खाना चाहिए।
- बुखार (ज्वर): वर्षा ऋ तु में पानी जगह-जगह पर भर जाता है। नदी-नालों में मच्छर बहूत ज्यादा मात्रा में उत्पन्न हो जाते है। यह मच्छर मलेरिया, डेंगू, टाईफाईड आदि अलग-अलग बुखारों को जन्म देता है।
लक्षण: बार-बार बुखार आना, भूख न लगना, सिर दर्द, शरीर पे लाल चकते होना, हाथ-पैर में दर्द होना, कमजोरी आना।
बचाव:
क पानी उबालकर पीए। उसे तुलसी के पत्ते डालकर उबालकर पीने से रोग प्रतिकारक क्षमता बढ़ती है।
क निम्ब-गिलोयकाकाढ़ाबनाकर पीएं।
क पानी को कहीं इक_न होने दे। इक_गंदे पानी में क्लोरिन, टेमोफोस पाउडर डालें।
क गंदे पानी में फिनाईल डालें।
क घर में जीवाणुनाशक दवाईयों वाला पोंछा लगाकर सफाई रखें।
क गंदे पानी में बच्चों को खेलने न दे।
क थोड़ा सा बुखार आने पर तुरंत इलाज़ करवाए।
क पानी में भिगने से बचाव करें।
- हैज़ा: वर्षा ऋ तु में हैज़ा सबसे ज्यादा फैलता है। इसमें दस्त एवं उल्टी होना सामान्य लक्षण है। पर ज्यादातर मखियाँ के कारण फैलता है। गन्दे पानी में हैज़ा के जीवाणु प्रवेश करते है जिसको खाने से हैज़ा फैलता है।
लक्षण: बार-बार उल्टी एवं दस्त होना, शरीर में कमजोरी होना, हाथ-पैर का टुटना (दर्द होना)।
बचाव:
क खाद्य-पदार्थो को ढक़ कर रखें।
क ताज़ा एवं गरम खाना खाएं।
क गन्दे पानी को भरने न दें।
क पानी ज्यादा पीएं।
- दस्त: वर्षा ऋ तु में पैर में ऐंठन के साथ बार-बार दस्त लगने पर बीमारी भी खुब ज्यादा फैलती है। दूषित पानी पीने के कारण या दूषित आहार से यह बीमारी होती है।
लक्षण: पेट में दर्द होना, बार-बार दस्त लगना, खाना हज़म न होना।
बचाव:
क नींबू शरबत पीएं।
क तीखा तला हुआ बाजार का खाना न खाएं।
क घर का शुद्ध एवं सात्विक आहार ही लें।
क पानी उबालकर ही पीएं।
- चर्म रोग: वर्षा ऋ तु में बार-बार भिगने के कारण, गीले कपड़े पहने रखने के कारण चर्म रोग फैलता है।
लक्षण: चमड़ी पे लाल चकते होना, खुजली चलना।
बचाव:
क नाखूनों से खुजाए नहीं।
क गीले वस्त्र न पहनें।
क नारियल तेल को गरम कर के शरीर पर लगाएं।
डॉ.सीमा शाह, बीएएमएस (आयुर्वेद)
साक्षात्कारकत्र्ता:आकांक्षा श्रीवास्तव