जन्माष्टमी विशेष
जन्माष्टमी कब और क्यों मनाई जाती है?
सभी जातिया अपने महापुरुषों के जन्म दिवस को बड़ी धूमधाम से मनाती आई है। जन्माष्टमी का त्यौहार सभी हिन्दुओं के लिए एक बहुत ही प्रमुख त्यौहार होता है और इसे हर साल मनाया जाता है। इसे भगवान कृष्ण की जयंती के रूप में मनाया जाता है इसी लिए इसे कृष्ण जन्माष्टमी कहते हैं।
कुछ लोगों का मानना है कि कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार थे। लेकिन अधिकांश लोग इसे जन्माष्टमी ही कहते हैं। जन्माष्टमी को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व को पूरी दुनिया में बड़ी आस्था और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।
जन्माष्टमी को सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में रहने वाले भारतीय भी बड़ी आस्था और उल्लास के साथ मनाते हैं। श्री कृष्ण युगों-युगों से हमारी आस्था के केंद्र रहे हैं। वे कभी तो यशोदा माँ के लाल होते हैं तो कभी ब्रज के नटखट कान्हा। हिन्दू इस त्यौहार को भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण के जन्म के रूप में मनाते हैं।
दिन प्रतिदिन उनके भक्तों की संख्या बढती ही जा रही है।जब संसार में पाप, अत्याचार, द्वेष और घृणा अधिक बढ़ जाते हैं, धर्म का नाश होने लगता है, सज्जन और दीन दुखियों को सताया जाने लगता है तब इस संसार में एक महान शक्ति अवतार लेती है और धर्म की स्थापना करती है।
श्री कृष्ण का जन्म रात के 12 बजे उनके मामा कंस के कारागार में हुआ था। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी श्रावण माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र में पडती है। इनके पिता का नाम वासुदेव और माता का नाम देवकी था। यह त्यौहार अगस्त या सितम्बर मेंपड़ताहै।
कृष्ण जन्माष्टमी से एक दिन पहले सप्तमी के दिन लोग वृत रखते हैं और आधी रात 12 बजे कृष्ण का जन्म होने के बाद घंटियाँ बजाकर श्री कृष्ण की आरती की जाती है। इसके बाद लोग अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियों में प्रसाद बाँटकर खुशी प्रकट करते हैं। उसके बाद वे खुद खाना खाते हैं। इस तरह से पूरे दिन वृतर खकर यह त्यौहार मनाया जाता है।
पौराणिक कथा: देवकी कंस की बहन थी और कंस मथुरा का राजा था। उसने मथुरा के राजा और अपने पिता अग्रसेन को जेल में बंदी बना लिया और खुद राजा बन गया था। कंस को अपनी बहन प्राणों से भी प्रिय थी। देवकी का विवाह कंस के मित्र वसुदेव के साथ हुआ था।
कंस बहुत ही अत्याचारी था। जब वह अपनी बहन देवकी को विवाह के बाद रथ पर उसके ससुराल छोडऩे जा रहा था तब एक आकाशवाणी हुई ‘जिस बहन को तुम इतने प्यार से विदा कर रहे हो उसकी आठवीं संतान तुम्हारी मौत का कारण बनेगी’।इस आकाश वाणी को सुन कर कंस घबरा गया था।
उसने अपनी बहन और उसके पति को कारखाने में बंद कर दिया था। देवकी को सात पुत्र हुए लेकिन कंस ने उन्हें बहुत ही बेहरमी से मार दिया। जब देवकी के आठवें पुत्र का जन्म हुआ था तब कारागार के सारे पहरेदार सोये हुए थे। वसुदेव अपने बच्चे को गोकुल के नन्द बाबा के घर छोड़आये और उनकी लडकी को लेकर लौट आये।
जब सुबह हुई तो वासुदेव ने उस कन्या को कंस को सौंप दिया था। कंस ने जैसे ही उसे पत्थर पर पटका तो वह लडकी उडकर आकाश में चली गई और जाते-जाते उसने कहा कि तुझे मारने वाला अभी जीवित है और गोकुल पहुंच चुका है। इस आकाशवाणी को सुनकर कंस बहुत घबरा गया था।
उसने कृष्ण को मारने के लिए बहुत प्रयत्न किये। उसने बहुत से राक्षसों को जैसे- पूतना, वकासुर को कृष्ण को मरने के लिए भेजा लेकिन कोई भी कृष्ण को मार नहीं पाया। श्रीकृष्ण ने सभी की हत्या कर दी थी।
जन्माष्टमी का महत्व: हम लोग पहले से ही जानते हैं कि जैसे ही विवाहित जीवन शुरू होता है। हर दंपत्ति की इच्छा होती है कि पूरे जीवन के लिए उसके पास एक अनूठा बच्चा हो। हालाँकि सभी जोड़ों को यह आशीर्वाद मिलता है लेकिन किसी को जल्दी हो जाता है और किसी को कुछ कारणों की वजह से देर में होता है।
मातृत्व उपहार के लिए सभी विवाहित औरतें वृत रखती हैं। ऐसा माना जाता है कि जो जन्माष्टमी के दिन पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ इस वृत को पूरा करती हैं उन्हें इस वृत का फल एक बच्चे के आशिर्वाद के रूप में मिलता है। जो महिलाएं अविवाहित होती हैं वो भविष्य में एक अच्छे बच्चे की कामना के लिए इस दिन का व्रत रखती हैं।