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गुजरात व तमिलनाडु से निकले नायक अब क्यों बन गये हैं जन-जन के नायक ?

गत दिनों में दो चेहरे बहुत ही चर्चित रहे हैं। प्रथम पीएम नरेन्द्र मोदी और दूसरा तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता। इन दोनों नामों में व उनकी लोकप्रियता में कुछ समान बातें दृष्टिगोचर होती हैं। कुछ लोगों का मानना है कि जयललिता अपने फ्रैं ड फि लॉसॉफ र-गाइड एमजीआर के कारण सफ लता प्राप्त कर सकीं। जबकि अगर ऐसा होता तो एमजीआर के निधन के बाद सत्ता सीधे उनके हाथ में आ जाती, पर ऐसा नहीं हुआ। दूसरी ओर पीएम नरेन्द्र मोदी आरएएस से प्रभावित होते तो बड़े-बड़े निर्णय तुरंत नहीं कर पाते। इस तरह से हमें यह महसूस होता है कि सफ लता व लोकप्रियता विरासत में नहीं मिलती, बल्कि यह तो एक बड़े संघर्ष का परिणाम है।
जहां पीएम नरेन्द्र मोदी पर गोधरा कांड में पक्षपात के आरोप लगे, उसी तरह जयललिता पर भ्रष्टाचार के मुकदमे लंबे समय तक चलते रहे। दोनों ने ही लगातार धैर्य के साथ लड़ाई लड़ी और हर बार जीते भी। हमें इस बात पर गौर करना चाहिए कि इन दोनों जननायकों की लोकप्रियता व सफ लता के कारणों के पीछे क्या छिपा है? यह एक बहुत ही अहम प्रश्न है। जिसे समझ लेने पर हर व्यक्ति को जीवन जीने की सही राह मिल सकती है। जब जयललिता को भ्रष्टाचार के मुकदमों के कारण जेल जाना पड़ा तब उनमें बड़ा परिवर्तन आया। उनकी महत्त्वाकांक्षाएं स्वयं से हटकर गरीबों पर केन्द्रित हो गई। उनका सारा ध्यान गरीबों को मुफ्त सुविधाएं देने में लग गया। कहते हैं : इस कारण तमिलनाडु का खजाना खाली भी हुआ।
दूसरी ओर हम देखते हैं कि पीएम नरेन्द्र मोदी भी एकाकी जीवन में हैं और इस कारण रिश्ते-नातों से दूर होकर स्वतंत्र रूप से जनहित के निर्णय लेने में समर्थ हो सके। आज के समय में महात्मा गांधी व शास्त्रीजी जैसे व्यक्तित्व मिलना बेहद मुश्किल है, जो परिवारवाद से उठकर राष्ट्रवाद के बारे में सोच
जी सकें। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम व पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की लोकप्रियता के पीछे भी मुख्य कारण उनकी पारिवारिक सोच ही है। इस प्रकार हम देखते हैं कि भारतीय राजनीति में एक बड़ा कारणव्यक्ति का परिवारवाद से उठकर पूर्ण समर्पित होकर कार्य करना है। देखा जाए तो, सकारात्मक बदलाव के लिए व्यक्तियों की निर्णय क्षमता, संवाद कौशल व ज्ञान की अधिकता तो उनकी सफलता का कारण है ही, पर इन सबमें भी सबसे महत्वपूर्ण बात उस व्यक्ति का इरादा (इंटेंशन) है। अगर इरादा नेक है, तो व्यक्तियों के ये गुण कोई बड़ा सृजन या सकारात्मक बदलाव ला देते हैं। अन्यथा ये ही गुण विनाश का कारण बनते हैं। कितना अच्छा हो इंसान अपने देश को ही अपना परिवार बना ले। आईए, नववर्ष २०१७ का स्वागत कुछ बड़ी सोच के साथ करें। वर्ष २०१६ में हुए अनुभव के आधार पर अपनी कमजोरियों का अवलोकन करें और नववर्ष के लिए पॉजिटिव व बड़े लक्ष्य निर्धारित करें। नववर्ष २०१७ के लिए सभी पाठकों को शुभकामनाएं प्रेषित करता हूं।
प्रेम, स्नेह और सम्मान के साथ।

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