Home / Editorial / June Month Editorial By Prof. Sanjay Biyani

June Month Editorial By Prof. Sanjay Biyani

ऐसी आय का क्या फायदा जो लाखों घरों व करोड़ों व्यक्तियों को मानसिक आर्थिक व शारीरिक कष्ट पहुंचाकर प्राप्त हुई है ? 

इन दिनों कुछ आश्चर्यजनक तथ्य सामने आये जिनसे यह पता चला कि हमारे समीपवर्ती राज्य पंजाब में लगभग 90 प्रतिशत युवा नशे की चपेट में हैं और लगभग 8.5 लाख लोग ड्रग्स एडिक्ट हैं। इसी तरह की स्थिति पंजाब और हरियाणा से जुड़े राजस्थान के सीमावत्र्ती जिलों की है। 125 करोड़ से अधिक आबादी वाले हमारे देश की मुख्य ताकत युवा शक्ति ही तो है और ये शक्ति यदि ड्रग्स और नशे से ग्रसित हो जायेगी तो भविष्य किस प्रकार से उज्जवल रह सकेगा। इस स्थिति के बारे में जब गौर किया गया तो यह तीन कारण दृष्टिगोचर हुए। प्रथम तो हमारी शिक्षा प्रणाली ही है जो व्यक्तित्व विकास व स्किल डवलपमेंट पर केन्द्रित ना होकर पाठ्यक्रम और परीक्षा प्रणाली पर ही आधारित है। शिक्षा प्रणाली के तहत युवाओं को जो जानकारी प्राप्त होती है वह उनके व्यवहारिक जीवन में ना तो खुशियां लाती है, ना ही उन्हें आत्मनिर्भर बना रही है। इस कारण विद्यार्थियों को अपना भविष्य उज्जवल प्रतीत नहीं होता और उसे शिक्षा उज्जवल भविष्य दिखाने वाली प्रतीत नहीं होती है।
दूसरा कारण वह स्वयं व उसे मिलने वाली पेरेंटिंग है। आज भी अधिकतर युवाओं की समस्या जीवन में निर्धारित लक्ष्य का ना होना ही है। हम सब एक ऊर्जा ही तो है और भौतिक विज्ञान के अनुसार हमारी ऊर्जा का रूपांतरण होता है। जब जीवन में कोई निर्धारित लक्ष्य ही नहीं होंगे, तो ऊर्जा का रूपांतरण लक्ष्यविहीन उद्देश्य जैसे नशे व ड्रग्स की ओर उन्मुक्त होगा। आज हमारे स्कूल व कॉलेज में काउन्सलर उपलब्ध नहीं हैं जो उनके अनुकूल सवालों का जवाब दे सकें, उनका मार्गदर्शन कर सकें।
तीसरा कारण राज्य सरकारों का नशे की आय से प्राप्त राजस्व का लोभ है। राजस्थान सरकार की आबकारी नीति 2015-16में शराब से सरकार को 6130 करोड़ रूपये की आमदनी होने का अनुमान है, वहीं साल 2016-17 में सरकार ने शराब से 7000 करोड़ से भी ज्यादा आमदनी का लक्ष्य रखा है। हमे यह सोचना होगा कि यह राजस्व हमें लाखों घरों व करोड़ों व्यक्तियों को मानसिक, आर्थिक व शारीरिक कष्ट पहुंचाकर प्राप्त हुआ है। अगर ऐसे राजस्व से सडक़े व पुल बना भी लिये जाये तो इनका जन सामान्य को क्या फायदा? इस बार बिहार में नीतिश सरकार द्वारा अप्रैल माह से पूर्ण शराबबंदी की घोषणा कर एक सही शुरूआत की गई है। आंकडों की मानें तो इस घोषणा के बाद बिहार में गांव – गांव में शांति है। गाली-गलौच ओर मारपीट का माहौल बदल गया है। पूरे देश में शराबबंदी लागू कर दी जाये तो निश्चित रूप से 50 फीसदी सडक़ दुर्घटनाएं व अपराध अपने आप कम हो जायेंगे। शराबबंदी का दूसरे राज्यों पर भी प्रभाव पड़ा है। झारखण्ड, यूपी, महाराष्ट्र व राजस्थान राज्य की महिलाएं भी इसकी मांग कर रही हैं।

बिना शराबबंदी के बेटी बचाओ व बेटी पढ़़ाओ की अवधारणा भी पूर्ण नहीं है। इस प्रकार जब हमारी शिक्षा प्रणाली व्यवहारिक ज्ञान से परे हो तथा हमारी पेरेंटिंग बच्चों को निश्चित उद्देश्य व लक्ष्य प्रदान करने में सक्षम ना हो, ऐसी दशा में गली-गली में खुली हुई शराब की दुकानें व ड्रग्स से हमारे युवा कैसे बच सकते हैं ? दूसरी ओर हम देखते है कि जो युवा ड्रग्स और नशे से दूर हैं वे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के कारण मानसिक तनाव और हीन भावना से ग्रस्त हैं। आये दिन आत्महत्या की जानकारी हमें प्राप्त होती रहती है। इस बारे में यह बताना चाहेंगे कि देश के 7 राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों में पूर्ण शराबबंदी का फैसला लेकर बहुत अच्छी पहल की जा चुकी है। जरूरत इस बात की है कि हमें जल्द ही पूर्ण शराबबंदी का फैसला लेना चाहिए। यदि शिक्षा प्रणाली को स्किल डवलपमेंट व व्यक्तित्व निर्माण से जोड़ा जाये व पूर्ण शराबबंदी घोषित कर दी जाए तो हमारे प्रदेश की सबसे बड़ी शक्ति – युवा शक्ति को चैनलाइज कर प्रदेश में खुशहाली प्राप्त की जा सकती है। दरअसल, प्रदेश में समय-समय पर शराबबंदी के मुद्दे पर सडक़ से लकर विधानसभा तक संग्राम चला हैं। चौंकानें वाली बात तो यह है कि पूर्ण शराबबंदी की मंाग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे पूर्व विधायक गुरूशरण छाबड़ा को अपनी जान तक गंवानी पड़ गई। राज्य सरकार की ओर से कुछ समय पूर्व तम्बाकू पर प्रतिबंध लगाकर जो पहल की गई थी, उसके सुखद परिणाम हम सभी को देखने को मिले हैं।
19 जून को फादर्स  डे के अवसर पर मैं सभी पाठको को अपनी शुभकामनाएं प्रेषित करता हूं। पिता हमारे जीवन में ज्ञान व विश्वास का प्रतीक है। इस अवसर पर यदि हम उन्हें हृदय से धन्यवाद देते हैं, तो हमारा ज्ञान व विश्वास परिपक्व होता है।
आशा है फि र मिलेंगे प्रेम, स्नेह, सम्मान के साथ

Check Also

Women's Day Special: मिलिए देश की होनहार बेटियों से, जो बनी देश का अभिमान

Women’s Day Special: मिलिए देश की होनहार बेटियों से, जो बनी देश का अभिमान

Share this on WhatsApp8 मार्च को हर साल महिलाओं के सम्मान में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस …

Gurukpo plus app
Gurukpo plus app