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बीमारी के इलाज में आस्था का प्रयोग कैसे करें ?

जब हम हमारी गतिविधियों में ईश्वर के मदद के महत्व के बारे में विश्वास करने लगेंगे, खास कर हमारे मरीजों के उपचार मेें तो बीमारों को स्वस्थ करने की दिशा में हम सच्ची प्रगति कर लेंगे।
मेडिकल साइंस और मनोवैज्ञानिक विज्ञान का अच्छे से अच्छा इलाज करायें और साथ ही आध्यात्मिक विज्ञान का भी सहारा लें। यह उपचार पद्धतियों का ऐसा समन्वय है जो निश्चित रूप से स्वास्थ प्रदान करेगा, बशर्ते ईश्वर की योजना के हिसाब से मरीज को जीना होगा। सबसे पहली बात तो यह है कि अपने आप को ईश्वर के हाथों में पूरी तरह समर्पित करने की पूर्ण इच्छा। दूसरी बात, सारे पापों और गलतियों का प्रायश्चित करकें उनसें मुक्ति पाने और आत्मिक रूप से शुद्ध होने की इच्छा। तीसरी बात , मेडिकल साइंस के इलाज के साथ ही ईश्वर की उपचारक शक्ति में आस्था और विश्वास का समन्वय, चौथी बात ईश्वर के उत्तर को स्वीकार करने की गंभीर इच्छा, चाहे उत्तर कुछ भी हो, और उसकी इच्छा के विरोध में किसी तरह की कटुता या आक्रोश काआभाव। पांचवी बात, एक महत्वपूर्ण व पूर्ण विश्वास कि ईश्वर उपचार कर सकता हैं।
याद रखियें की ईश्वर कोई भी काम बिना नियम के नही करता हैं। यह भी याद रखना कि हमारे तुच्छ सांसारिक नियम उस महान शक्ति की आंशिक अभिव्यक्ति है, जो इस ब्रहमाण्ड में प्रवाहित हो रही हैं।
यह भी महत्वूपर्ण है कि परिवार में सामंजस्य हो यानि आध्यात्मिक सामंजस्य हो। याद रखें कि बाइबल में इस बात पर जोर दिया गया है कि, ‘अगर धरती पर तुममे से दो लोग किसी भी वस्तु को सहमत होकर इक_े मांगोगे तो स्वर्ग में बैठे मेरे पिता उनकी इच्छा पूरी कर देंगेÓ।
अपने मस्तिष्क में एक ऐसी तस्वीर बनायें, जिसमें आपका प्रियजन स्वस्थ हो गया हो। उसके पूर्णरूप से स्वस्थ होने कि कल्पना करें। तस्वीरों से ईश्वर के प्रेम और अच्छाई से चमकता हुआ देखें। आपका चेतन मस्तिष्क बीमारी, यहां तक कि मृत्यु का भी सुझाव दे सकता हैं, परन्तु आपके मस्तिष्क का ९० प्रतिशत हिस्सा अवचेतन में हैं। स्वास्थ्य की तस्वीर को अवचेतन में डूब जाने दें और आपके मस्तिष्क का यह शक्तिशाली हिस्सा प्रचूर स्वास्थ ऊर्जा अपने आप भेजेगा। हम अवचेतन में जिस पर विश्वास करते हैं। हमें आमतौर पर वही मिलता हैं। जब तक आपकी आस्था आपके अवचेतन पर नियंत्रण नही करेगी, तब तक आपको कोई अच्छी चीज नही मिलेगी, क्योंकि अवचेतन सिर्फ वहीं वापस देता हैं। जो आपका असली विचार होता हैं। अगर असली विचार नकारात्मक है, तो परिणाम भी नकारात्मक ही होंगे। अगर असली विचार सकारात्मक है, तो आपको सकरात्मक और उपचारक परिणाम मिलेंगे।

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