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36 साल बाद वतन लौट,गजानंद ने ली आज़ादी की सांस…

देश के 72 वें स्वतंत्रता दिवस पर 36 साल तक पाकिस्तान की जेल में बंद रहने के बाद गजानंद शर्मा ने अपनी सरज़मी पर आज़ादी की सांस ली। अपने जीवन के 36 अनमोल  साल पाकिस्तान की जेल में सलाखों के पीछे काटने के बाद जयपुर के गजानंद शर्मा की सोमवार को रिहाई हो गई। पाकिस्तान जेल से रिहा होने के बाद वे वाघा बॉर्डर के रास्ते भारत पहुंचे।  स्वतंत्रता दिवस से ठीक दो दिन पहले गजानंद के घर में खुशियां वापिस लौट आई। उनके साथ 29 और भारतीय भी रिहा हुए हैं जो पाकिस्तान की विभिन्न जेलों में कैद थे।

ऐसे पता चला की गजानंद है पाकिस्तान जेल में बंद| जयपुर से करीब 36 साल पहले लापता हुए एक व्यक्ति के पाकिस्तान की लाहौर जेल में बंद होने का मामला सामने आया था। जयपुर जिले के सामोद थाना इलाके में गांव महारकलां के 65 वर्षीय निवासी गजानंद शर्मा की भारतीय राष्ट्रीयता के वेरिफिकेशन के संबंध में पाक जेल से दस्तावेज यहां आए थे। जिसके बाद एसपी जयपुर ग्रामीण कार्यालय से दस्तावेज सत्यापन के लिए सामोद थाना पुलिस को भेजे गए। जब पुलिस ने गजानंद के परिजनों को तलाश कर उनसे संपर्क किया और गजानंद के पाक जेल में होने की जानकारी दी जिसके बाद पूरा परिवार सदमे में आ गया था।

फोटो देख बेटे ने किया था दावा ।

पाक जेल के दस्तावेजों में गजानंद शर्मा की फोटो देखकर उनके छोटे बेटे मुकेश शर्मा ने दावा किया कि वो उनके पिता ही हैं। 36 साल बाद भी वह अपने पिता को पहचानने में भूल नहीं कर सकते हैं। जयपुर के नाहरगढ़ थाना इलाके में माउंट रोड पर फतेहराम का टीबा निवासी गजानंद शर्मा के परिवार में उनकी 62 वर्षीय पत्नी मखनी देवी, दो बेटे राकेश , मुकेश, बहुएं और पोते हैं। गजानंद की पत्नी मखनी देवी ने बताया कि उनके पति मजदूरी करते थे। वह अक्सर घर से बाहर ही रहते थे। कभी कभार घर आते फिर कई दिनों तक बाहर ही रहते थे। मखनी देवी ने बताया कि वर्ष 1982 में एक दिन उनके पति गजानंद घर से बिना बताए निकल गए। इसके बाद वह फिर लौटकर घर नहीं आए। उनकी तलाश में मखनी देवी अपने रिश्तेदारों के साथ कई जगहों पर भटकी। संभावित जगहों पर पति को तलाश किया लेकिन पता नहीं चला। तब वह ब्रह्मपुरी थाने भी गई थीं लेकिन पुलिस ने रिपोर्ट नहीं लिखी और कुछ दिनों में गजानंद के आने की बात कहकर वापस भेज दिया।

छोटे बेटे ने कहा- टूट गईं थी घरवालों की उम्मीदें

गजानंद के छोटे बेटे मुकेश शर्मा ने बताया कि पिताजी के घर लौटने की उम्मीदें खत्म सी हो गई थी। कुछ पता नहीं था कि पिताजी जिंदा है या फिर दुनिया में नहीं रहे। फिर भी परिवार ने आस नहीं छोड़ी और उन्हें जीवित मानते रहे। अचानक 7 मई को मुकेश को उनके ताऊ के बेटे राजेंद्र शर्मा ने फोन कर बताया कि गजानंद चाचाजी का पता चल गया है। वह पाकिस्तान की लाहौर जेल में बंद हैं। पाकिस्तान से उनकी राष्ट्रीयता की सत्यापन जांच के लिए दस्तावेज सामोद थाने में आए है। इस दौरान सामोद पुलिस गजानंद के बारे में जानकारी जुटाने महार कलां गांव पहुंची। तब स्थानीय बुजुर्गों ने गजानंद के जयपुर निवासी बड़े भाई के बारे में जानकारी दी। इसके बाद पुलिस ने गजानंद के परिवार से संपर्क कर जरुरी दस्तावेज लेकर थाने बुलाया। तब मुकेश और उनके परिजन 9 मई को सामोद थाने पहुंचे। वहां दस्तावेजों की सत्यापन जांच कर रहे एएसआई कैलाशचंद से मिलकर अपनी मां और खुद के दस्तावेज जमा करवाए।

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