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पांच तरह के 10 लाख पौधे कम करेंगे पॉल्यूशन

अंजलि तंवर

भारतमाला परियोजना के तहत बन रहे दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे को ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे भी कहा जा रहा है। 1350 किलोमीटर लंबे इस हाइवे पर प्रदूषण कम करने के लिए करीब 10 लाख पौधे लगाए जाएंगे। हाइवे पर लगने वाले खास 5 किस्म के पौधों की खासियत यह है कि यह प्रदूषण कम करेंगे।

अधिकारियों का कहना है कि देश के सबसे लंबे हाईवे पर परदेशी नीम, स्नेक, एरिका, गरबेरा व जाइलीन यह पांच किस्म के पौधे लगाए जाएंगे। ये प्लांट पॉल्यूशन को कम करने के साथ ही पर्यावरण को शुद्ध रखेंगे।

इनमें एरिका पॉम कार्बनडाइऑक्साइड ग्रहण करता है और फिर ऑक्सीजन छोड़ता है। वहीं स्नेक प्लांट जहरीली गैसों को ऑब्जर्व कर लेता है। यह प्लांट हाईवे के किनारे और बीच में लगाए जाएंगे।

बारिश का पानी बचाने के लिए बनेंगे टैंक

इस हाईवे की खासियत यह होगी कि बारिश के पानी को बचाने के लिए यहां वॉटर हार्वेस्टिंग टैंक बनेंगे। दौसा जिले में करीब 130 टैंक बनाए जाएंगे।

ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि पूरे हाईवे पर 500 मीटर की दूरी पर करीब 2 हजार टैंक बनेंगे। प्रत्येक टैंक की क्षमता 700 लीटर की होगी। यानी हर साल बारिश का करीब 14 लाख लीटर पानी बचाया जाएगा।

12 घंटे में दिल्ली से मुंबई तक का सफर

वर्तमान में दिल्ली से मुंबई की दूरी सड़क मार्ग से लगभग 1510 किलोमीटर है। एक्सप्रेस-वे बनने के बाद यह दूरी 1350 किलोमीटर रह जाएगी। ऐसे में एक्सप्रेस-वे बनने के बाद कार से केवल 12 घंटे में दिल्ली से मुंबई का सफर तय कर सकेंगे।

इसके निर्माण पर लगभग 90 हजार करोड़ रुपए की लागत आएगी। वहीं दिल्ली से दौसा तक एक्सप्रेस-वे का 70 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। यहां जयपुर-आगरा नेशनल हाईवे 21 से एक्सप्रेस-वे को लिंक करते हुए भाण्डारेज बंध पर सर्किल व टोल प्लाजा बनाने का कार्य चल रहा है। इससे लोगों को जयपुर, आगरा व करौली की ओर जाने में सुविधा होगी।

 

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