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राजस्थान में 10 महीने बाद स्कूल खुले: 21 मार्च 2020 से थे बंद

कोरोना महामारी के चलते राजस्थान में करीब 10 महीने से बंद पड़े स्कूल-कॉलेजों को खोल दिया गया है। हालांकि, अभी 9वीं से 12वीं तक के स्कूल ही रीओपन किए गए। बच्चों के कदम पड़ते ही वीरान स्कूलों में एक बार फिर रौनक लौट आई। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और सैनिटाइजर आदि का ध्यान रखा गया।

21 मार्च 2020 को प्रदेश की स्कूलों में अंतिम बार घंटी बजी थी, जिस के बाद पूरे प्रदेश को कोरोना ने अपनी ऐसी जद में लिया कि स्कूलों की घंटियां ही नहीं बज पाईं. पहले लॉकडाउन (Lockdown) और उसके बाद अनलॉक की प्रक्रिया के दौरान बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए स्कूलों को नहीं खोलने का फैसला लिया गया और इस बीच पूरे 9 महीने और 27 दिन बीत गए.

पिछले 15 दिनों से प्रदेश में कम होते कोरोना (Corona) के प्रकोप और वैक्सीन के शुभारंभ के बाद एक बार फिर से प्रदेश की स्कूलों में घंटियों की आवाज सुनाई देगी. फिलहाल कक्षा 9वीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों के लिए स्कूल खोलने का फैसला लिया गया है.

 कक्षाएं ऑफलाइन के साथ ऑनलाइन भी

जयपुर समेत राज्य के बड़े स्कूलों में ऑफलाइन के साथ ही ऑनलाइन क्लासेज की व्यवस्था की गई है। यानी, अगर पैरेंट्स बच्चों को स्कूल भेजना नहीं चाहे तो वह घर में रहकर तैयारी कर सकते हैं। दूसरी तरफ पैरेंट्स भी बच्चों को स्कूल भेजने में कोई हड़बड़ी नहीं करना चाहते हैं। यही कारण रहा कि पहले दिन स्कूलों में 10-15% बच्चे ही पहुंचे।

ब्रिटेन में आए कोरोना के नए स्ट्रेन के बाद अभी भी काफी पैरेंट्स एक राय नहीं है। कई पैरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल खुद छोड़ने के लिए आए। पहले की तरह ऑटोरिक्शा और बाल वाहिनी गाड़ियों से बहुत कम बच्चे ही स्कूल पहुंचे। स्कूल संचालकों के मुताबिक काफी पैरेंट्स अभी भी कुछ तय कर पाने की स्थिति में नहीं हैं।

इन दिशा-निर्देशों का हो रहा पालन

कोरोना गाइडलाइन के तहत सबसे पहले प्रोटोकाल नो मास्क, नो एंट्री का पालन किया जा रहा है।
स्कूलों की एंट्री गेट और क्लास में प्रवेश करने से पहले सभी छात्रों की थर्मल स्क्रीनिंग हो रही है।
स्कूल पहुंचने वाले छात्रों को अभिभावकों का लिखित हस्ताक्षर युक्त सहमति पत्र लाना अनिवार्य है।
स्कूल परिसर में प्रवेश करने पर 6 फीट की दूरी रखकर ही बच्चों को लाइन में खड़ा किया जा रहा है।
स्कूलों में प्रवेश करने पर छात्र-छात्राओं के हाथ सैनिटाइज कराए जा रहे हैं।
ज्यादातर स्कूल दो पारियों में चल रहे हैं। वहीं, एक कक्षा में सिर्फ 15-20 बच्चे बैठाए जा रहे हैं।

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