अंजलि तंवर
दिल्ली में रहने वाली पूजा कंठ नौकरी छोड़ने के बाद कुछ सालों से घर पर बैठी थीं।अचानक एक दिन सोशल मीडिया पर उन्हें एक सुंदर सा आर्ट दिखा, जो उन्हें पसंद आया। इंटरनेट के माध्यम से उसके बारे में जानकारी जुटाने लगीं। तब उन्हें पता चला कि यह मैक्रमे आर्ट है। इसमें धागों की मदद से गांठ बनाकर क्रिएटिव चीजें तैयार की जाती हैं।धीरे-धीरे पूजा की दिलचस्पी इसमें बढ़ने लगी और वे खुद भी कलाकारी करने लगीं।
कुछ दिनों बाद पूजा इस आर्ट में माहिर हो गईं, दूसरों को भी ट्रेनिंग देने लगीं। फिर तय किया कि वे अपने इस पैशन को प्रोफेशन बनाएंगी। आज 5 साल बाद पूजा का पैशन और प्रोफेशन चल निकला है। अब वे न सिर्फ इससे खुद लाखों की कमाई कर रही हैं बल्कि दो दर्जन से ज्यादा महिलाओं की जिंदगी भी संवार रही हैं।
स्थानीय महिलाओं के साथ की स्टार्टअप की शुरुआत
पूजा कहती हैं कि मैं जहां रहती थी वहां कई ऐसी महिलाएं रहती थीं, जिनके पास कोई काम नहीं था। वे अपने पति पर डिपेंडेंट थीं और उनके पति भी कुछ खास काम नहीं करते थे। यानी एक तरह से उन्हें अपनी आजीविका को लेकर काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था।
मैं चाहती थी कि इन महिलाओं के लिए कुछ किया जाए। मैं अपने पति से भी इसको लेकर चर्चा करती रहती थी। जिसके बाद मेरे पति ने ही मुझे सुझाव दिया कि तुम जो आर्ट तैयार कर रही हो, इसी काम को करो और इन महिलाओं को भी इससे जोड़ो। इससे तुम्हारा भी काम आगे बढ़ेगा और इन महिलाओं को भी मंच मिलेगा।
सके बाद मैंने आसपास की महिलाओं से बात की। वे काम करने के लिए तो तैयार हो गईं, लेकिन उन्हें इसके बारे में जानकारी नहीं थी। इसके बाद मैंने उन्हें ट्रेनिंग देनी शुरू की। धीरे-धीरे महिलाएं काम करना सीख गईं।
हम बाजार से रस्सी और रॉ मटेरियल लाते थे और घर पर ही महिलाओं की मदद से नए-नए होमडेकोर प्रोडक्ट तैयार करते थे। इस तरह कुछ वक्त बाद हमारे पास प्रोडक्ट की अच्छी खासी लिस्ट हो गई। इसके बाद हमने तय किया कि अब इसे हम प्रोफेशनल लेवल पर शुरू करेंगे।
सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से शुरू की मार्केटिंग
पूजा कहती हैं कि हमने सोशल मीडिया पर पूजा की पोटली नाम से अकाउंट बनाया और उस पर अपने प्रोडक्ट की फोटो अपलोड करने लगे। इसके बाद हमने अमेजन पर खुद का अकाउंट बनाया और उस पर भी अपनी प्रोडक्ट लिस्ट कर दिए।
शुरुआत के दो-तीन महीने तक तो कोई ऑर्डर नहीं आया, लेकिन उसके बाद हमें एक के बाद एक ऑर्डर मिलने शुरू हो गए। जैसे-जैसे हमें ऑर्डर मिलते उस हिसाब से प्रोडक्ट बनाकर हम मार्केटिंग करने लगे। कुछ दिनों बाद हमने खुद की वेबसाइट बना ली और कंपनी रजिस्टर करा ली। इसके बाद मार्केटिंग अच्छी होने लगी। देश के अलग-अलग हिस्सों से हमें ऑर्डर आने लगे।