– संजय कुमार सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर (पत्रकारिता एवं जनसंचारिता विभाग), बियानी ग्रुप ऑफ कॉलेज़ेज, जयपुर
मानवता के लिए चुनौती बन चुके इस वायरस से लडऩे के लिए के लिए अभी तक कोई भी देश या संस्था वैक्सीन तैयार इस महामारी को खत्म करने का दावा नहीं कर पाई है। दुनियाभर की कंपनियां कोरोना की वैक्सीन बनाने में लगी हुई है। यहां तक की दुनिया का सबसे ताकतवार देश अमेरिका में भी वैक्सीन अभी परीक्षण चरण में ही है। माना जा रहा है कि अभी कोरोना की वैक्सीन आने में कुछ वक्त लग सकता है।
इंपीरियल कॉलेज लंदन के वैज्ञानिक कोरोना वायरस के प्रायोगिक टीके के साथ ब्रिटेन में लोगों को प्रतिरक्षित करना शुरू करेंगे। वैश्विक महामारी को रोकने के लिए प्रभावी टीका ढूंढने की दौड़ में यह नई कोशिश है। ब्रिटिश सरकार ने एक बयान में कहा कि इंपीरियल में विकसित कोविड-19 के संभावित टीके की दो खुराकों के साथ करीब 300 स्वस्थ लोगों को प्रतिरक्षित किया जाएगा।
इसके अलावा करीब एक दर्जन संभावित टीकों का फिलहाल हजारों लोगों में शुरुआती तौर पर परीक्षण किया जा रहा है। इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि कोई भी काम करेगा लेकिन इस बात की उम्मीद बढ़ती जा रही है कि साल के अंत तक कोई न कोई टीका तैयार होजाएगा।
नई दिल्ली की क्कड्डठ्ठड्डष्द्गड्ड क्चद्बशह्लद्गष्द्ध ने अमेरिका की एक अर्ली स्टेज लाइफ साइंसेज कंपनी क्रद्गद्घड्डठ्ठड्ड के साथ जॉइंट वेंचर शुरू किया है।दोनों कंपनियां मिलकर एक इनऐक्टिवेटेड वायरस बेस्ड वैक्सीन बनाएंगी। ट्रायल का पहला फेज सितंबर से शुरू होने कीउ म्मीद है।
एक अन्य दवा निर्माता कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन ने अपनी कोविड-19 वैक्सीन का ट्रायल सितंबर के बजाय जुलाई से शुरू करने का फैसला किया है। यह फैसला उसने वैक्सीन के प्री-क्लिनिकल डेटाकी स्ट्रेन्थ को देखते हुए लिया है।कंपनीकेचीफसाइंटिफिकऑफिसर पॉल स्टॉफेल्सकेअनुसार, कंपनीअपनीवैक्सीन 2021 तकबाजार में उतार सकतीहै।
मुंबई की भारत सीरम एंड वैक्सीन्सलिमिटेड(क्चस्ङ्करु)अपनेजेनेरिकड्रगद्यद्बठ्ठड्डह्यह्लड्डह्लद्बठ्ठकाकोविड-19 पर ट्रायलशुरूकरेगी।यहदवासेप्सिसकेलिएइस्तेमालहोतीहै।क्चस्ङ्करु यहजांचेगीकिक्याइसेकोविड-19 मरीजोंमेंएक्यूट रिस्परेटरीडिस्ट्रेससिंड्रोम(्रक्रष्ठस्)केइलाजमेंइस्तेमालकिया जा सकता है या नहीं। कंपनी को इस दवा की क्लिनिकल स्टडीकेथर्डफेजकोशुरूकरनेकीमंजूरीमिलगईहै।
पतंजलि योगपीठ के आयुर्वेदाचार्य आचार्य बालकृष्ण ने दावा किया है कि आयुर्वेद दवाओं के एक खास मिश्रण से कोरोना संक्रमण का इलाज पूरी तरह से संभव है।
पतंजलि अनुसंधान संस्थान में कोरोना वायरस संक्रमण की दवा बनाने को लेकर पांच महीने तक शोध चला और चूहों पर कई दौर के इसके सफल परीक्षण किए गए जिसके बाद ही ये सफलता मिली है। उन्होंने बताया कि इसके लिए जरूरी क्लीनिकल केस स्टडी भी पूरी हो चुकी है, जबकि क्लीनिकल कंट्रोल ट्रायल अपने अंतिम दौर में है। जल्द ही इसका डाटा मिलने वाला है, जिसके मिलते ही फाइनल एनालिसिस कर दवा बाजार में उतार दी जाएगी।