20 लाख करोड़ रुपए के आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में 15 घोषणाएं कीं। इनमें 6 घोषणाएं छोटे-मझले उद्योगों के लिए, 3 टैक्स से जुड़ी, 2 इम्प्लॉई प्रॉविडेंट फंड पर, 2 नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों के लिए और एक-एक घोषणा पावर डिस्ट्रिब्यूशन कंपनियों और रियल एस्टेट सेक्टर के लिए थीं।
इन घोषणाओं से इन्हे फायदा
45 लाख ऐसे उद्योगों को, जिनका टर्नओवर 100 करोड़ रुपए से कम है।
2 लाख ऐसे छोटे उद्योगों को, जो संकट में चल रहे हैं।
2 करोड़ लोगों को रोजगार देने वाले रियल एस्टेट सेक्टर को।
10 लाख संस्थानों को, जिनके 5 करोड़ कर्मचारियों का पीएफ हर महीने जमा होता है।
मैन्यूफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर के लिए अब छोटे उद्योगों की परिभाषा एक ही कर दी गई है। माइक्रो यानी बेहद छोटे उद्योग वे कहलाएंगे, जहां 1 करोड़ का निवेश है और 5 करोड़ का टर्नओवर है। स्मॉल यानी छोटे उद्योग वे कहलाएंगे, जहां 10 करोड़ का निवेश है और 50 करोड़ का टर्नओवर है। मीडियम यानी मझले उद्योग वे कहलाएंगे, जहां 20 करोड़ का निवेश और 100 करोड़ का टर्नओवर है। इससे फायदा ये होगा कि अब ज्यादा उद्योग एमएसएमई के दायरे में आ जाएंगे।