वैज्ञानिकों का कहना है कि भारत और पाकिस्तान के लोगों को इस बार भीषण गर्मी का सामना करना पड़ेगा। यह गर्मी वर्ष 2015 की ही तरह होगी जिसमें भारत में दो हजार लोगों की मौत हो गई थी।
लंदन (एएफपी)। भले ही पेरिस समझौते के अंतर्गत ग्लोबल वार्मिग को तय सीमा तक रोक दिया गया हो लेकिन इसके बावजूद भी इस बार कोलकाता जैसे बड़े भारतीय शहरों को खतरनाक लू का सामना करना पड़ सकता है। वैज्ञानिकों ने यह चेतावनी देते कहा कि यह 2015 में पड़ी भीषण गर्मी की स्थिति के समान होगी जिसमें भारत में दो हजार से ज्यादा लोगों को जान चली गई थी। गौरतलब है कि 2015 पेरिस समझौते को समर्थन दे रहे देशों ने वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी को दो डिग्री से कम रखने का संकल्प जताया है।
ब्रिटेन के लिवरपूल जॉन मूर्स यूनिवर्सिटी के पर्यावरण विशेषज्ञ टॉम मैथ्यूस ने बताया कि पर्यावरण में बदलाव के साथ-साथ गर्मी भी तेजी से बढ़ती जाती है। उनके मुताबिक, अगर पेरिस समझौते के तहत ग्लोबल वार्मिंग को रोक भी दिया जाए तो पाकिस्तान में कराची और भारत में कोलकाता को 2015 जैसी भीषण गर्मी का सामना करना पड़ेगा।
शोधकर्ताओं ने बताया कि दुनिया के 101 ज्यादा आबादी वाले शहरों में से 44 शहरों में तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है जिससे यहां पर गर्मी दोगुना हो गई है। इससे 2050 तक अतिरिक्त 350 मिलियन लोगों को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ेगा।
गौरतलब है कि 2015 में पाकिस्तान में लू से 1200 लोग व भारत में दो हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। वहीं, अमेरिकन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन के कार्यवाहक निदेशक जॉर्जेस बेंजामिन ने उल्लेख किया कि लू उन शहरों के लिए घातक है जहां गर्मी खींचने वाला एसफॉल्ट, कांक्रीट और ज्यादा आबादी हो।