आयशा खान
राष्ट्रपति भवन में बुधवार को को पद्म अलंकरण प्रदान किया गए। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 54 हस्तियों को सम्मान से अलंकृत किया। इनमें 3 पद्म विभूषण , 4 पद्म भूषण और 47 पद्म श्री हैं। छग की पंडवानी लोक गाइका उषा बारले को पद्मश्री ने नवाजा गया। सम्मान लेने से पहले उन्होंने राष्ट्रपति व पीएम को प्रणाम किया। गणतंत्र दिवस पर 106 पद्म अवार्ड्स की घोषणा की गई थी।
![54 हस्तियों को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया](https://sp-ao.shortpixel.ai/client/to_auto,q_glossy,ret_img,w_600,h_450/https://biyanitimes.com/wp-content/uploads/2023/03/padma-awards-1652374539.jpg)
18 साल के लक्ष्मण सिंह ने अपनी दसवी की पढ़ाई छोड़कर अपने गाँव लापोड़िया का जलसंकट देखकर अपने जीवन के 40 साल पर्यावरण संरक्षण और समाजसेवा व जल बचाने के कार्य में लगा दिए। लक्ष्मण सिंह और उनकी संस्था के प्रयासों से ही अब बारिश के दिंनो में लापोड़िया गाँव के कुओं में लबालब भरे हुए हैं। अब अगर तीन साल तक भी अकाल पड़े तब भी गाँव में खेती के लिये पर्याप्त पानी होगा। और पीने का पानी होगा।
लक्ष्मणसिंह बताते हैं की जब उन्होंने दसवीं कक्षा की पड़े छोड़ी तब उन्हें पागल बोला जाता था , पर उन्होंने सभी कार्य को करते हुए 10th की प्राइवेट परीक्षा भी दी हलाकि , वह पास नहीं हुए। लक्षमण सिंह को पद्म श्री तक जाने वाले कहानी की शुरुआत 1975 – 76 से हुई तब वह जयपुर में टोक रोड पर रहकर पढ़ाई किया करते थे , उनके गाँव लपोड़िया में पानी को लेकर अकाल पैदा हुआ था।
जब वह जयपुर से अपने गाँव गए तब उन्हें जल की कमी देख कर उन्हें दुःख हुआ और आश्चर्य हुआ। फिर उन्होंने अपने गांव वालों को जमा कर के समझाया वह उनसे श्रम दान करवाया उन्होंने एक संस्था का निर्माण किया उनकी यह मेहनत ने आज उन्हें पद्म श्री का हक़दार बनाया।