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Jewels of Rajasthan- Sunita Shekhawat

इनके द्वारा डिजाइन किए गए गहनों में जिंदगी के हर रंगों की खूबसूरती साफ-साफ झलकती है। अपनी कला का जादू हीरे-मोती आदि बेशकीमती पत्थरों पर चलाकर इन्होने ज्वैरी डिजाइनिंग को एक नई पहचान दी और खुद अपने दम पर एक ऐसा मुकाम हासिल किया जिसके कारण वह ‘हर्मीज़ ऑफ इंडिया’ और ‘क्वीन ऑफ कुंदन’ के नाम से जानी जाती है, राजपूत परिवार में जन्मी सुनिता शेखावत ज्वैलरी डिजाइनिंग के क्षेत्र में एक जाना-पहचाना नाम है। अपनी पॉजिटिविटी सोच, दृढनिश्चय और कर्म करते रहने की भावनाओं ने उनका सपना ही पूरा नही ं किया बल्कि उनके द्वारा डिजाइन की गई ज्वैलरी को पहनने का सपना हर लडक़ी व महिला की आंखों का हिस्सा बनने लगा ।

समाज में हमेशा से एक भ्रान्ति रही है कि ज्वैलरी का बिजनेस केवल ज्वैलर्स की जागीर है । ऐसे में एक राजपूती परिवार की लडक़ी ने इस क्षेत्र में अपना कॅरियर क्यों चुना?
मैं हमेशा से कुछ ऐसा करना चाहती थी जो किसी ने ना किया हो। मुझे क्रिएटिविटी वाले काम बहुत पसंद थे। ज्वैलरी डिजाइनिंग का मुझे बचपन से ही शौक था। मेरे परिवार के सम्बन्ध जोधपुर के राज-घराने से थे और वहां की महिलाओं की ज्वैलरी मुझे हमेशा से आकर्षित करती थी और उन्हें देखकर मुझे अपनी मनपसंद डिजाइन्स की ज्वैलरी बनाने का मन करता था। मैंने अपने इसी शौक को अपना व्यवसाय बनाने की ठान ली। कुछ अपनों का साथ और कुछ अपनों की नजरअंदाजी के चलते मैंने अपने सपने को पूरा कर लिया और यह साबित कर दिया कि कोई भी काम किसी की जागीर नही होता।
शुरूआत में आपकों किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ा?
जैसा कि हर राजपूत परिवार में होता है मेरे यहां भी बहुत पारम्परिक माहौल था। जहां बेटी को पढ़ाने की आजादी तो थी लेकिन जॉब करने की मनाही थी। लेकिन मुझमें अपनी एक अलग पहचान बनाने का जुनून था और इसी जुनून के रहते मैंने अपने बिजनेस की शुरूआत तब कि जब मैं पूरी तरह परिवार को मैनेज कर चुकी थी। मेरा कोई गॉडफाद्र नहीं हैं, मैंने जीरो इन्वेस्टमेंट पर अपना बिजनेस शुरू किया। जितना कमाया, उतना बिजनेस में लगाया तो इस तरह से आप कह सकते है कि शुरूआती दौर में पारिवारिक मतभेद और आर्थिक समस्याएं रही लेकिन समस्या और समाधान दोनों में से जिसको बड़ा माने और ज्यादा तवज्जो दें वही जीत जाते है, मैंने हमेशा समाधान ढूंढने की कोशिश की। समस्याएं अपने आप खत्म हो गई।
आपके रोल मॉडल या इन्सपीरेशन कौन हैं?
कोई व्यक्ति या समूह मेरा इन्सपीरिशन नहीं है। मेरे संस्कार, मेरी परम्पराएं मेरा परिवार और मेरा शहर ही मेरी इन्सपीरेशन है। जयपुर शब्द जुडऩा ही मुझे प्रेरित करता है कि मैं काम करूं जिससे जयपुर की पहचान दुनिया भर में हो सकें। मेरी मां मेरे पति और मेरे बच्चे मुझे हमेशा प्रेरित करते है और मेरा साथ देते है।
आपके आने वाली नई योजनाएं क्या हैं?
हम दिल्ली में एक नया स्टोर खोलने जा रहे है और इन्टरनेशनल लेवल पर हांगकांग, सिंगापुर आदि जगह हमारे शो आयोजित किए जा रहे है। जहां जयपुर की ज्वैलरी को अन्तर्राष्ट्रीय पहचान दी जा रही है।
आप हमारे पाठकों को क्या संदेश देना चाहती हैं?
मैं लडकियों को सबसे पहले यह कहूंगी कि वह फाइनेंशियल इन्डीपेन्डेंट बनें। लेकिन फाइनेंशियल इन्डीपेन्डेंट होने का यह मतलब भी नही है कि आप एरोगेंट हो जाएं। आपकी पहली प्राथमिकता आपका परिवार होना चाहिए।

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