Breaking News
Home / News / India / न्यायपालिका में 50% आरक्षण महिलाओ को देने की सलाह

न्यायपालिका में 50% आरक्षण महिलाओ को देने की सलाह

अनुष्का शर्मा

50 फ़ीसदी आरक्षण

महिला वकीलों को ‘गुस्से से’ न्यायपालिका में 50 फ़ीसदी आरक्षण के लिए मांग उठानी चाहिए – ये बात मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना ने रविवार को सुप्रीम कोर्ट की महिला वकीलों द्वारा आयोजित एक सम्मान समारोह में कही.

न्यायाधीश एन वी रमन्ना ने इसे लैंगिक असंतुलन को ख़त्म करने के लिए अति आवश्यक सुधार बताया और कहा कि आपको गुस्से से चिल्लाना होगा, मांग करनी होगी कि आपको 50 फ़ीसदी आरक्षण चाहिए. ये छोटा मुद्दा नहीं है. ये हज़ारों वर्षों से दबाया हुआ मुद्दा है. ये आपका हक़ है और ये आपके अधिकारों का मामला है.

न्यायाधीश एन वी रमन्ना के इस वक्तव्य पर महिला वकीलों ने खुशी ज़ाहिर की है और उनका मानना है कि इससे महिलाओं को आगे आने के अवसर मिलेंगे.

महिला केस कैसे लड़ सकती है?

वे आगे बताती हैं कि सामाजिक संरचना ऐसी बना दी गई है कि लड़कियों को घर में ही बोलने नहीं दिया जाता तो ऐसे में वे सबके सामने खुलकर कैसे बोलना सीखेंगी.

सीमा कुशवाहा बताती हैं, ”ज्यादातर लोगों का नज़रिया रहता है कि ये महिला है ये क्या केस लड़ेगी. वो आपको गंभीरता से नहीं लेते लेकिन जब महिलाओं की संख्या न्यायापालिका में बढ़ेगी तो लोगों का भरोसा भी बढ़ेगा ऐसे में सीजेआई के इस वक्तव्य से ऐसी लड़कियों को मदद ज़रूर मिल सकती है.”

कानपुर यूनिवर्सिटी से वकालत की डिग्री हासिल करने वाली सीमा बताती हैं कि कालत की पढ़ाई कर रही या कर चुकी लड़कियाँ उनके साथ अपने अनुभव साझा करती रहती हैं.

उनके अनुसार, ”जब लड़कियां प्रैक्टिस के लिए जाती हैं तो वहां ज्यादातर पुरुष वकील होते हैं जिनके नीचे प्रशिक्षण लेना होता है. वे उन्हें केवल दौड़ाते हैं, एक्पोज़र नहीं मिल पाता. ऐसे में किसी भी केस को लेकर उनकी सीनियर पर निर्भरता बढ़ जाती है और लोगों को यकीन नहीं होता कि वो केस भी लड़ सकती है. उन्हें ज़िला या निचली अदालतों में भी केस नहीं मिलते क्योंकि लोगों को लगता है कि उनमें काबिलियत ही नहीं हैं.”

वे अपना उदाहरण देकर कहती हैं कि हाथरस गैंग रेप मामले में उन्हें धमकियां मिलीं लेकिन ऐसा चलता रहता है और आपको ऐसी समस्याओं का डटकर सामना करना होता है.

सीमा कुशवाहा

सीमा कुशवाहा निर्भया मामले में वकील रह चुकी हैं और उत्तप्रदेश के इटावा के एक छोटे से गांव उग्रपुर से आती हैं.

वे बीबीसी हिंदी से बातचीत में कहती हैं कि न्यायपालिका में महिलाओं की भागादारी बढ़ने से लोगों का नज़रिया बदलने में मदद मिलेगी.

सीमा बताती हैं कि निर्भया मामले और फिर हाथरस मामले की वजह से एक वकील के तौर पर ज़्यादातर शहरों में लोग उन्हें जानने लगे हैं लेकिन अगर वे किसी मामले के सिलसिले में पंचायत या गांव में जाती हैं तो लोग उन्हें वकील के तौर पर नहीं देखते. वो सिर्फ़ एक महिला के तौर पर ही देखी जाती हैं.

Check Also

वार्षिकोत्सव में फैशन शो के जरिए दिखी कतरन से कारीगरी की झलक

Share this on WhatsAppअनुष्का शर्मा। जयपुर, । गणेश वंदना से शुरू हुए कार्यक्रम में वसुधैव …

Gurukpo plus app
Gurukpo plus app