Fine Arts ललित कला/विजुअल आर्ट में रोजगार तथा सफल भविष्य
डॉ. रमाकान्त गौतम
सहायक प्रोफेसर (चित्रकला)
बियानी गर्ल्स कॉलेज, जयपुर
Fine Arts: क्या आपको स्केचिंग, ड्राईंग और पैंटिंग बनाना अच्छा लगता है?
क्या आपमें रचनात्मकता है?
यदि हाँ, तो ललित कला (फाइन आर्ट्स ) का अध्ययन आपके लिये उपयोगी है। Fine arts ललितकला किसी भी कलात्मक कार्य में उसके सौन्दर्यात्मक पहलू तथा रचनात्मकता की द्योतक होती है। ललित कला हमें जीना सीखाती है। यह हमारे जीवन को सहज व सुलभ बनाने में हमारी मदद करती है।
ललित कला के अंतर्गत बहुत सारी विद्यायें जैसे- चित्रकला, मूर्तिकला, स्थापत्यकला, फोटोग्राफी, प्रिंट-मेेकिंग, कम्प्यूटर ग्राफिक्स, एप्लाइड आर्ट्स, नृत्य, संगीत, कविता, नाट्य आदि आते है। ललित कलाओं को अध्ययन के दृष्टिकोण से दो भागों में बांटते है। पहली तो दृश्य कलायें (जिनका आधार हमारी आँखें होती है) हैं, जिनमें चित्र, मूर्ति, स्थापत्य, एप्लाइड आर्ट, फोटोग्राफी, प्रिंट-मेकिंग आदि आते हैं। दूसरी कलायें प्रदर्शनकारी कलायें कहलाती है, जो दर्शकों के सम्मुख मंच पर प्रदर्शित की जाती है, जिनमें संगीत, नृत्य, नाट्य आदि आते है। इसी आधार पर बहुत से विश्वविद्यालय तथा कॉलेज ललित कला में बहुत से कोर्सेज संचालित करते है।
Fine Arts Course : कोर्स और समयावधि-
ललित कला में बहुत सारे सार्टिफिकेट कोर्सेज, डिप्लोमा तथा डिग्रीयाँ संचालित की जाती है। सार्टिफिकेट कोर्सेज आप किसी भी कक्षा के बाद कर सकते हैं, जिनकी अवधि छः माह या एक वर्ष की होती है। ललित कला में डिप्लोमा या डिग्री कोर्सज करने के लिये बारहवीं पास होना अनिवार्य है। डिप्लोमा कोर्सेज 1/2/3 वर्ष के होते है। ललित कला में यू.जी. डिग्री (बीएफए/बीवीए/बीए) 4/3 वर्ष की होती है तथा इसके पश्चात् पी.जी. (एमएफए/एमवीए/एमए) 2 वर्ष का अध्ययन होता है। राजस्थान में राजस्थान यूनिवर्सिटी, स्कूल ऑफ आर्ट, जयपुर, बियानी गर्ल्स कॉलेज, विद्याधर नगर, जयपुर आदि विभिन्न संस्थाओं में उक्त कोर्सेज संचालित किये जाते है। जहाँ से अध्ययन करने के बाद जॉब प्लेसमेंट के माध्यम से अपने करियर को उचित दिशा प्रदान कर सकते है।
Fine Arts ललित कला के विशेष क्षैत्र-
आर्ट स्टूडियों, विज्ञापन, ग्रािफक्स, फेशन उद्योग, मल्टिमिडिया, पब्लिशिंग, एनिमेशन, टेक्सटाईल, फिल्म व थियेटर, डांस और कोरियोग्राफी, फोटोग्रॉफी। कॉमिक, प्रिंट-मेंकिंग, वैचारिक कला, चित्रकला, वास्तुकला, मूर्तिकला, अभिनय तथा व्यावहारिक कला।
ललित कला में कौशल का महत्व-
रेखांकन सही करने के लिये कौशल आवश्यक है।
माध्यम को किस तरह उपयेाग में लेना, यह आना चाहिये।
आपके कलात्मक कार्य का उचित प्रदर्शन व उसका व्यवस्थापन आना चाहिये।
रंगाकन की तकनीक व सिद्धान्त की जानकारी होनी चाहिए।
अपने कार्य के प्रस्तुतीकरण तथा उसके संचार का कौशल होना भी आवश्यक है।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में उसकी उपयोगिता तथा समसामयिक जानकारी भी आवश्यक है।
कॅरियर और रोजगार
ललित कला में उक्त कोर्सेज करने के पश्चात् स्वतंत्र कलाकार के रूप में अपना कॅरियर शुरू कर सकते है। आप एक टेक्सटाइल कम्पनी, ज्वैलरी कंपनी, फिल्म मेकिंग कंपनी तथा विभिन्न प्रकार की डिजाइनिंग कंपनियों में एक आर्ट डिजायनर तथा कला निर्देशक के रूप में कार्य कर सकते है। इनमें शुरूआत में ही एक अच्छा पैकेज आप प्राप्त कर सकते है।
इसके अलावा विभिन्न प्रकार की विज्ञापन कंपनियों में एक डिजायनर के रूप में भी अपना सफल कॅरियर बना सकते है। स्वयं की क्राफ्ट इंडस्ट्री भी विकसित करके देश-विदेश में अपने आर्ट प्रोडक्ट सेल करके भारी मुनाफा कमा सकते है।
उक्त कोर्स (एमवीए/एमएफए/एमए) करने के बाद आप एक आर्ट टीचर, लेक्चरर आदि के रूप में कार्य करते हुए अच्छा पैसा प्राप्त कर सकते है। सरकारी क्षेत्र में भी विद्यालयों में टीजीटी, पीजीटी तथा कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्य करते हुये अच्छा पैकेज प्राप्त कर सकते है। आर्ट एजुकेशन में आप रिसर्चर, संग्रहालय क्यूरेटर, आर्ट कॉर्डिनेटर के रूप में भी सरकारी क्षेत्र में अपना कॅरियर बना सकते है।
उक्त कोर्सेज के बाद एक आर्ट थैरेपिस्ट, मल्टिमिडिया प्रोग्रामर, सेट डिजायनर, प्रॉडक्शन आर्टिस्ट, क्रियेटिव डायरेक्टर, फर्निचर डिजायनर, 3-d आर्टिस्ट, एनिमेटर, मूर्तिकार, फेशन डिजायनर आदि के रूप में भी कार्य करते हुये आप अच्छी खासी सैलेरी या पैकेज प्राप्त कर सकते है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में ललित कला का क्षैत्र काफी विकसित हो गया है। इसमें डिजिटाईजेशन तथा इंस्टॉलेशन के जुड जाने से नये आयामों की स्थापना हो रही है। अतः कुल मिलाकर ललित कला/विजुअल आर्ट्स में अध्ययन कर अपने कौशल को बढाकर आप अपना करियर विभिन्न क्षे़त्रों में सँवार सकते हैं।