अंजलि तंवर
ओम प्रकाश महज 10वीं तक पढ़े हैं
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के रहने वाले ओम प्रकाश महज 10वीं तक पढ़े हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। । परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। कम उम्र से ही वे मजदूरी करने लगे। खेती की जमीन थी, लेकिन ज्यादातर हिस्सा बंजर था। इसलिए फसल न के बराबर होती थी।
तीन साल पहले उन्हें यूट्यूब के जरिए लेमन ग्रास की खेती के बारे में पता चला। उन्हें आइडिया पसंद आया और पालमपुर से बीज लाकर उन्होंने लेमन ग्रास की खेती शुरू कर दी।
आज उनके साथ 100 से ज्यादा किसान जुड़े हैं। वे लेमन ग्रास से ऑयल निकालकर मध्यप्रदेश, राजस्थान सहित कई राज्यों में मार्केटिंग कर रहे हैं।
पिछले साल 6 लाख रुपए की कमाई उन्होंने की थी। इस साल और अधिक आमदनी की उम्मीद है।
42 साल के ओम प्रकाश कहते हैं- मैं अक्सर यूट्यूब पर खेती को लेकर वीडियो देखता रहता था। एक दिन मुझे लेमन ग्रास की खेती के बारे में जानकारी मिली।
वीडियो के जरिए मुझे पता चला कि इसकी खेती के लिए किसी खास जमीन की जरूरत नहीं होती है और लागत भी कम होती है। एक परिचित के जरिए मुझे पता चला कि पालमपुर स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी (IHBT) में इसकी ट्रेनिंग दी जाती है।
इसके बाद साल 2018 में मैं IHBT गया। वहां एक दिन की ट्रेनिंग के बाद 10 हजार प्लांट लेकर अपने गांव चला आया।
लेमन ग्रास की खेती कैसे करें?
लेमन ग्रास की खेती बेहद आसान है। इसके लिए किसी खास तरह की जमीन की जरूरत नहीं होती है। यहां तक कि जंगलों और जमीन में भी इसकी खेती की जा सकती है।
बरसात के सीजन में इसकी प्लाटिंग करना सबसे अच्छा माना जाता है। हालांकि आप साल भर इसकी प्लांटिंग कर सकते हैं।
मुझे खेती करते देख गांव के किसान भी साथ आ गए
गांव आने के बाद मैंने बंजर जमीन पर ही इसकी प्लांटिंग कर दी। कुछ ही महीने बाद जंगल हराभरा हो गया। यह देखकर मुझे काफी खुशी हुई और मैंने खेती का दायरा बढ़ा दिया।
साल 2019 तक 2 लाख प्लांट मैंने अपने खेतों में लगा दिए। प्लांट तैयार हो जाने के बाद ओम प्रकाश ने IHBT पालमपुर की मदद से लेमन ग्रास से ऑयल निकालना सीख लिया।
इसके बाद उन्होंने नीलकंठ इंडिया नाम से एक सोसाइटी बनाई और अपने गांव और आसपास के किसानों को भी इससे जोड़ा। फिलहाल 100 से ज्यादा किसान इनके साथ जुड़कर लेमन ग्रास की खेती कर रहे हैं।