पर्रिकर ने भारत की परमाणु व्यवस्था पर कहा-‘पहले इस्तेमाल नहीं’ की नीति में खुद को क्यों बांध कर रखें

नई दिल्ली : रक्षा मंत्री पर्रिकर ने गुरुवार को हैरानी जताई कि  भारत  क्यों नहीं कह सकता कि हम एक जिम्मेदार परमाणु शक्ति हैं और ‘पहले इस्तेमाल नहीं’ की नीति को दोहराने की बजाय वह इसका गैर जिम्मेदार तरीके से इस्तेमाल नहीं करेंगे। हालांकि, उनकी यह व्यक्तिगत टिप्पणी है। पर्रिकर ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘मुझे खुद को क्यों आबद्ध करना चाहिए? मुझे कहना चाहिए कि मैं एक जिम्मेदार परमाणु शक्ति हूं और मैं इसे गैर जिम्मेदारी से इस्तेमाल नहीं करूंगा। यह मेरी (व्यक्तिगत) सोच है।’ साल 1998 में परमाणु परीक्षण के बाद भारत ने ‘पहले इस्तेमाल नहीं’ की परमाणु नीति घोषित की थी।

मीडिया को आड़े हाथ लेते हुए उन्होंने कहा कि वे लोग प्रकाशित करेंगे कि परमाणु नीति बदल गई है।

उन्होंने कहा, ‘यह सरकार में नहीं बदला है। यह मेरी धारणा है। व्यक्ति के तौर पर भी मैं महसूस करता हूं। मैं नहीं कह रहा कि आप इसे पहले इस्तेमाल करें।’ उन्होंने कहा कि ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ से पहले पाकिस्तान के रक्षा मंत्री परमाणु हथियारों के संभावित इस्तेमाल की बात कर भारत को धमकी दिया करते थे उन्होंने कहा कि ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ होने के बाद से कोई धमकी नहीं आई है। उन्होंने महसूस किया कि हम कुछ चीज कर सकते हैं जो बखूबी नहीं बताया गया है।

यह पूछे जाने पर कि क्या इसका यह मतलब है कि भारत अपनी परमाणु नीति पर पुनर्विचार करने जा रहा है, पर्रिकर ने इसका नकारात्मक जवाब दिया। ब्रिगेडियर गुरमीत कंवल (सेवानिवृत्त) द्वारा संपादित ‘द न्यू अर्थशास्त्र..ए सेक्युरिटी स्ट्रेटजी ऑफ इंडिया’ के विमोचन के मौके पर मंत्री ने कहा, ‘मैं कुल मिला कर इस बारे में पुनर्विचार के लिए नहीं कह रहा। मैं यह कह रहा हूं कि यदि मैं अपनी नीति को निर्धारित करूंगा, परमाणु पर सवाल होंगे, मेरे विभाग के काम काज को कोई पहलू होगा, यदि मैं इसे संभाव्य बनाऊंगा, तब मैं हैरान करने वाला लाभ खो दूंगा। अप्रत्याशित रूप से आपको खास तरह की नीति बनानी होगी। आपको खुद के लिए फैसला करना होगा।’

पर्रिकर ने बार-बार जोर देते हुए कहा कि यह मेरा व्यक्तिगत विचार है। उन्हें लगता है कि हर चीज अपनी अहमियत खो देती है यदि कोई इस बारे में अनुमान लगाता है तो।

उन्होंने कहा कि सुरक्षा रणनीतिक कार्यक्रम में वह बहुत स्पष्ट हैं कि आपकी रणनीति को भी आंशिक रूप से अप्रत्याशित करने की जरूरत है। तभी जाकर यह वजनदार होगा।

पर्रिकर ने यह भी कहा कि वह अक्सर ही आश्चर्य जताते हैं कि भारत के पास लिखित परमाणु नीति नहीं है।

 

 

Check Also

Explore Diverse and Creative Careers in Media and Communication

Journalism and Mass Communication is one of the most dynamic and rapidly evolving fields in …