प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी दक्षिण अफ्रीकी यात्रा के आखिरी चरण में शनिवार को डरबन से एक हेरिटेज ट्रेन के जरिये पीटरमारित्जबर्ग स्टेशन पहुंचे. इसी स्टेशन पर सात जून 1893 में महात्मा गांधी को अश्वेत होने के कारण अंग्रेजों ने जबरन ट्रेन से उतार दिया था.
दक्षिण अफ्रीका की अपनी यात्रा के दूसरे दिन मोदी नस्लीय भेदभाव के खिलाफ महात्मा गांधी के संघर्ष को श्रद्धांजलि देने के लिए पेंट्रिक में एक ट्रेन पर सवार होकर पीटरमेरित्जबर्ग गए. साल 1893 में सात जून को जब गांधीजी डरबन से प्रीटोरिया जा रहे थे, तब एक श्वेत ने प्रथम श्रेणी के डिब्बे में उनके चढ़ने पर आपत्ति की और उन्हें तीसरी श्रेणी के डिब्बे में जाने को कहा गया.
123 साल पहले इसी स्टेशन ने गांधी को बदला
हिन्दुस्तान से हजारों मील 24 साल के बैरिस्टर मोहनदास करमचंद गांधी सात जून 1893 के दिन डरबन से प्रिटोरिया की यात्रा पर निकले थे. वह गुजराती कारोबारी दादा अब्दुल्ला सेठ के मुकदमे की पैरवी को आए थे. लेकिन उन्हें फर्स्ट क्लास के कोच में बैठा देख एक अंग्रेज ने उन्हें तीसरी श्रेणी के डिब्बे में जाने को कहा. मोहनदास ने उस अंग्रेज से कहा कि उनके पास प्रथम श्रेणी की यात्रा का टिकट है, लेकिन उस अंग्रेज ने रेलवे अधिकारी के मदद से उन्हें उस डिब्बे से बाहर निकलवा दिया.
भारतीय समुदाय को किया संबोधित
शुक्रवार शाम पीएम मोदी ने जोहानिसबर्ग में 11 हजार से ज्यादा भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित किया. उन्होंने दक्षिण अफ्रीका की धरती को ‘मदीबा’ नेलसन मंडेला और महात्मा गांधी की कर्मभूमि बताया. यहां उन्होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीका ने ही मोहनदास को महात्मा में बदला था.
 Biyani Times Positive News
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