अंजलि तंवर
टोक्यो ओलिंपिक
टोक्यो ओलिंपिक में बुधवार को हरियाणा की माटी के लाल रवि दहिया कुश्ती के 57 किलो वेट के फाइनल में जगह बना ली है। बुधवार दोपहर पौने 3 बजे कजाखस्तान के पहलवान को पटखनी देकर रवि ने देश के लिए चौथा मेडल पक्का कर लिया है, वहीं उनके खुद के गोल्ड मेडल लेकर आने की आस भी और प्रबल हो गई है। दरअसल, रवि मंगलवार को परिवार से बात करते हुए कहा था, ‘ऐसा खेल दिखाउंगा कि दुनिया देखती रह जाएगी…’’
उन्होंने क्वालीफाइंग और क्वार्टर फाइनल में दोनों विरोधी पहलवानों को 10 से ज्यादा अंकों के अंतर से हराकर मुकाबले इकतरफा कर लिए। सेमीफाइनल को भी पूरे जोश और होश के साथ जीता।
इसके बाद उनके घर पर और दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम स्थित कर्मभूमि पर जश्न का माहौल देखने को मिला। अब सबकी नजरें गोल्ड मेडल के लिए होने वाली कुश्ती पर हैं।
छत्रसाल स्टेडियम और नाहरी में जश्न
रवि के फाइनल में पहुंचते ही दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में कुश्ती देख रहे उसके छोटे भाई पंकज और संजू ने साथी पहलवानों के साथ जश्न मनाया
पिता ने झेली आर्थिक तंगी, बेटे ने उनके संघर्ष की कीमत समझी
रवि सोनीपत जिले के नाहरी गांव से ताल्लुक रखते हैं। रवि ने यह मुकाम ऐसे ही नहीं पाया। उसके पिता राकेश दहिया किसान हैं और बेटे को यहां तक पहुंचाने के लिए उन्होंने बड़ी आर्थिक तंगी झेली हैं।
रवि ने भी अपने पिता के संघर्ष की कीमत समझी और उसे व्यर्थ नहीं जाने दिया। रवि के बाद राकेश दहिया अपने छोटे बेटे पंकज को भी पहलवान बना रहे हैं। पंकज अभी जूनियर पहलवान है और वह दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम के अखाड़े में प्रैक्टिस कर रहा है।