Breaking News
Home / Creativity / शुभारम्भ, नई सुबह का…

शुभारम्भ, नई सुबह का…

आगाज अच्छा हो तो अंजाम भी बेहतर होता है। नए वर्ष में सकारात्मक सोच के साथ परिवार-रिश्तों, समाज,सेहत,कॅरियर के स्तर पर छोटे-छोटे संकल्प लिए जाएं और उन्हें पूरा करने की कोशिश की जाए।

उम्मीद के साथ करें नई शुरूआत :
नये साल का आरंभ नई उम्मीदों और सकारात्मक सोच के साथ करें। विफलताओं से घबराये बिना जो लोग चुनौतियों का सामना करने को तैयार होते हैं, जीत उन्हीं को मिलती है। अमिताभ बच्चन ने अपने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था- ‘मैनें बहुत मुश्किल वक्त देखा, मैं दिवालिया हो गया था, कई लोग थे जो एक जमाने में मेरे साथ काम करना चाहते थे, आज गाली-गलौज पर उतर आये थे।’ दुविधाओं से निकलने के लिए सोचता था कि क्या करूं? रात-रात भर जागता था, फिर एक दिन उठा और मन में ठाना एक्टिंग करने आया था वही करूंगा तुरंत तैयार होकर यश चौपड़ा के पास गया और उन्हें मुझे एक रोल दे दिया, इस तरह मैंनें नई शुरूआत की।
रिश्तों को सहेजें पल-पल :
रिश्ते जीवन का आधार हैं। व्यक्ति जो कुछ भी करता है, अपनों की खुशी और संतुष्टि के लिए ही करता है। इसलिए रिश्तों को अपने स्नेह से सींचे, उन्हें समय, देखभाल और प्यार दें। ‘रिश्तों में पावर गेम न खेलें। पावर से रिश्ते कभी मधुर नहीं बन सकते। जो जैसा है, उसे वैसे ही स्वीकारें, प्यार की खाितर थोड़ा एडजस्टमेंट करें, जिम्मेदारियों को समझें। धैर्य से रिश्तों को संवारने की कोशिश करें, तभी रिश्ते संवरते हैं, फलते-फूलते हंैं।’
वर्तमान संवारें भविष्य के लिए बचाएं :
बचत अच्छी आदत है। देखें कि कहां खर्च कम किए जा सकते हैं और कैसे भविष्य के लिए अपनी सेविंग्स बढ़ाई जा सकती हैं। परिवार को किफायत से रहने की सीख दें। बचत महज पैसों की ही नहीं होती, यह प्राकृतिक संसाधनों जैसे ऊर्जा, पानी, तेल, ईंधन आदि की भी होती है। संसाधनों को बचाएं, पर्यावरण की रक्षा करें और दुनिया को जीने लायक बनाएं।
‘जब आपके पास धन न हो, उन दिनों के बारे में अवश्य सोचें जब आपके पास कुछ नहीं था…।’
भावी पीढ़ी को दें संस्कार :
समय के साथ पेरेंटिंग के कई नए मंत्र सीखने की जरूरत है। बच्चों को अपना प्यार, स्नेह, सकारात्मक एहसास प्रदान करें। उन्हें डॉक्टर, इंजीनियर, कलाकार, साइंटिस्ट कुछ भी बनाएं, लेकिन सबसे जरूरी है कि उन्हें बेहतर नागरिक और अच्छा इंसान बनने में मदद करें। माता-पिता की सबसे महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी यही है। आज के समय में यही चीज सबसे दुर्लभ होती जा रही है। हम एक तेज-रफ्तार जमाने में जी रहे हैं, जहां परिवार को समय देना ही मुश्किल होता जा रहा है। याद रखें, परिवार और बच्चे हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता है।

Check Also

जयपुर में फिटनेस के लिए ऑटोमेटिक टेस्टिंग स्टेशन शुरू:स्थानीय सेंटर पर जाने की जरूरत नहीं होगी, टू-व्हीलर की भी होगी जांच

Share this on WhatsAppराजस्थान के 83 फिटनेस सेंटर 1 अक्टूबर 2024 से बंद हो जाएंगे, …

Gurukpo plus app
Gurukpo plus app