उलझन रहित जीवन बेकार – स्वामी शरणानंद
प्रत्येक उलझन उन्नति का साधन है, डरो मत ! उलझन रहित जीवन बेकार है। संसार में उन्हीं प्राणियों की उन्नति हुई है जिनके जीवन में पग-पग पर उलझनें आईं हैं । उलझने जाग्रति को पैदा करती हैं और प्रमाद(घमंड) को खा जाती है। व्यक्ति में छिपी शक्ति को विकसित करती है परंतु जो प्राणी समस्यों से डरता है उसे समस्याएं अपना दास यानि नौकर बना लेती है। अपने पर कृपा करना सीखो और किसी दूसरे का दोष मत देखो। यदि हो सके तो अपनी निर्बलताओं को देखो, इनको स्वीकार कर मिटाने का प्रयास करो और हार को स्वीकार मत करो।