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गणतंत्र दिवस पर झांकियों का चयन कैसे किया जाता है

तानिया शर्मा

गणतंत्र दिवस पर देश की राजधानी दिल्ली में होने वाले समारोह में पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु की झांकी नहीं दिखेगी. इसको लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आपत्ति जताई है. सरकार की ओर से चयनित झांकियों की घोषणा नहीं की गई है, लेकिन खबर है परेड में 21 झांकियां होंगी.

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार

इस बार गणतंत्र दिवस की थीम ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ रखी गई है, जो कि आजादी के 75 साल पूरे होने के अवसर पर तय की गई है. वहीं ममता बनर्जी के पत्र के अनुसार, बंगाल की झांकी नेताजी सुभाष चंद्र बोस और उनके द्वारा गठित आईएनए के 125वें जयंती वर्ष पर उनके योगदान की स्मृति में समर्पित थी. बहरहाल सूत्रों का कहना है कि तीनों राज्यों के प्रस्तावों को ‘सेलेक्शन कमिटी’ ने विचार-विमर्श के बाद उचित प्रक्रिया के तहत खारिज किया है.’ उन्होंने कहा कि राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों से 56 प्रस्ताव आए थे, जिनमें से केवल 21 का चयन किया गया है, जबकि 36 प्रस्तावों को खारिज कर दिया गया है.

झांकी के संबंध में कुछ तय मानक

  1. रक्षा मंत्रालय के पास चयन की जिम्मेदारी रहती है, लेकिन वह अपनी तरफ से किसी मॉडल बनाने वाली कंपनी का प्रस्ताव नहीं देता.
  2. झांकियों के मॉडल पर सिर्फ राज्यों के नाम लिखे जा सकते हैं, इसके अलावा कुछ और नहीं. ये अंग्रेजी या हिंदी में हो सकते हैं.
  3. राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों या विभागों/मंत्रालयों की तरफ से डिजाइन के तीन मॉडल पेश किए जाते हैं, जिनमें से फाइनली एक का चयन किया जाता है.
  4. झांकी के लिए वाहन (ट्रैक्टर), कलाकार, उनकी वेशभूषा, लोकगीत, संगीत वगैरह की जिम्मेदारी संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश या विभाग/मंत्रालय की जिम्मेदारी रहेगी.

किस तरह होता है झांकियों का चयन?

राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों, मंत्रालयों और विभागों की तरफ से जो सुझाव आते हैं, उनके आधार पर विशेषज्ञों की एक चयन समिति चर्चा करती है. कई दौर की बैठकों के बाद समिति झांकियों का चयन करती है. इस एक्सपर्ट कमेटी में कल्चर, पेंटिंग, संगीत, कृषि, कोरियोग्राफी, कला, साहित्य आदि क्षेत्रों के एक्सपर्ट शामिल होते हैं. कमेटी के सदस्य थीम और मानकों के अनुसार कई एंगल से इसका रिव्यू करते हैं, तब जाकर झांकियों की लिस्ट फाइनल होती है.

जब राज्यों, विभागों की ओर से दिया गया प्राइमरी डिजाइन या स्केच मंजूर हो जाता है, तब उनसे इनके डाइमेंशनल मॉडल लाने को कहा जाता है. ​प्रस्तावकों की ओर से पेश किए मॉडल पर बात होती है. तय मानकों पर उन्हें परखा जाता है और फिर इस पर चर्चा के लिए बैठकें होती हैं. अगर किसी राज्य, विभाग वगैरह से प्रतिनिधि मीटिंग में नहीं शामिल होते तो उनकी प्रस्तावित झांकी खारिज कर दी जाती है.

 

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