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जीसेट-६ए का सफल प्रक्षेपण

सेना के संचार तंत्र और देश के मोबाइल नेटवर्क को मजबूत बनाने के उद्देश्य से इसरो ने जीसेट-६ए लांच किया है. सेटलाईट को श्रीहरीकोटा के सतीश धवन अन्तरिक्ष केंद्र के लोंचपेड-२ से लोंच किया. ४१५.६ टन वज़न के इस सेटलाईट से देश में छोटे ग्राउंड स्टेशन और हाथ में पकडे जाने वाले उपकरणों से कालिंग करने की सुविधा का विकास किया जा सकेगा. हमारे देश में लगातार फ़ोन धारको की संख्यामें बढ़ोतरी हो रही है लकिन नेटवर्क की समस्या लगातार बनी हुई है क्योंकि आज भी देश के दूरस्थ स्थानों पर नेटवर्क के कनेक्टिविटी की समस्या बनी हुई है और आज के समय में मोबाइल कंपनियों के सामने भी समसे बड़ी समस्या अपने ग्राहकों को बेहतर नेटवर्क देने की है ऐसे में ये सेटलाईट देश में कनेक्टिविटी को भी बदने में सहायता करेगा. इसके लिए जीसेट-६ए मल्तीबीम कवरेज नाम की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करेगा. इसके ज़रिये रिमोट एरिया में सेना की टूकदियों’ के बीच बेहतर संचार प्रणाली विकसित करने में मदद करेगा. जम्मू कश्मीर और लेह लड्दक जैसी जगहों पर सेना की टुकड़ियों को अक्सर उची छोटी पर जाकर देश की रखवाली करनी पड़ती है ऐसे में ये सेटलाईटउनके लिए मददगार साबित होगा क्योंकि अक्सर ये सुनने में अत है किसी टुकड़ी का से के मैं बसे से संपर्क टूट जाता है उस समय ये सेटलाईट हमारे जवानों के लिए सहायताकर पायेगा. इस सेटलाईटको बनाने में लगभग २७० करोड़ रूपये की लागत आई है. उपग्रह में बेहतर कम्युनिकेशन लिंक के लिए ६ मीटर चौढ़ा एंटीना लगाया गया है.  सेना के कम्युनिकेशन सिस्टम को भी इससे फायदा मिलेगा. इस सेटलाईटका जीवन १० साल का है. इसे जीएसएलवी एफ-८ अन्तरिक्ष प्रक्षेपण यान के ज़रिये कक्षा में स्थापित किया गया है. इस प्रक्षेपण यान की ये १२वी उड़ान है. इसरो के अनुसार जीसेट ६ए उपग्रह भी २०१५ में लांच हुए जीसेट-६ के समानही है. इसका काम जीसेट ६ को सपोर्ट देने का होगा. इसके रोकेट के दुसरे चरण में इस बार सुधर किया गया है. इसमें गति के विकास के इंजन और इलेक्ट्रोमेकेनिकल एक्टिवशन सिस्टम शामिल किया गया है.

 

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