पूर्वा चतुर्वेदी
अमेरिका में बुजुर्गों को कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज लगने का रास्ता साफ हो गया है. अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की एडवाइजरी कमेटी ने सर्वसम्मति से मतदान के जरिये 65 साल से अधिक आयु के लोगों और उच्च जोखिम वाले मरीजों के उपयोग के लिए फाइजर बूस्टर शॉट्स को मंजूरी दे दी है. हालांकि 16 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को तीसरा शॉट देने का प्रस्ताव मतदान में विफल हो गया था.
बूस्टर डोज किसे लगेगी…
अमेरिका में जिन लोगों ने सबसे पहले टीका लगवाया है, उन्हें सबसे पहले बूस्टर डोज लगेगा। इस अनुसार स्वास्थ्यकर्मियों, फ्रंटलाइन वर्कर्स और बुजुर्गों के साथ गंभीर रोग से ग्रसित लोगों को प्राथमिकता मिलेगी। कुछ बातें टीके की उपलब्धता पर भी निर्भर होगी।
जिन्होंने टीका नहीं लगवाया?
अमेरिका के मेयो क्लीनिक के डॉ. मेलानाइन स्विफ्ट का कहना है कि जिन्होंने टीका नहीं लगवाया है, उन्हें महामारी के इस दौर में टीका लगवाना होगा। टीका संक्रमण के बाद अस्पताल में भर्ती होने और मौत के खतरे से बचाता है। जितनी जल्दी टीका लगवाएंगे बूस्टर डोज उतनी जल्दी लगेगी।
तीसरी डोज किस कंपनी की लगेगी
बूस्टर डोज के तौर पर कौन सा टीका लगेगा, ये अभी स्पष्ट नही है। फिलहाल यही कहा जा रहा है कि जिसे जिस कंपनी का टीका पहले लगा है, उसे उसी कंपनी का टीका तीसरी डोज के तौर पर लगेगा। हालांकि इस पर अध्ययन जारी है कि क्या मिक्स डोज का इस्तेमाल हो सकता है जो सुरक्षित हो।
बूस्टर डोज में क्या अंतर?
अंग प्रत्यारोपण करा चुके लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। संभव है कि दो डोज से उनके भीतर पूरी तरह इम्युनिटी नहीं बनी हो। ऐसे लोगों को दूसरी डोज के 28 दिन बाद ही टीके की तीसरी डोज लगेगी। जिनका इम्यून सिस्टम ठीक है उन्हें तीसरी डोज थोड़े ज्यादा समय बाद लगेगी।
बूस्टर डोज की जरूरत क्यों?
वैज्ञानिकों ने देखा है कि टीके से बनी एंटीबॉडीज कुछ समय बाद कम होती है, लेकिन पूरी तरह खत्म नहीं होती है। संभव है कि बूस्टर डोज न लगे और संक्रमण हो जाए तो शरीर को वायरस से लड़ने में अधिक मेहनत करनी पड़े। डेल्टा स्वरूप को देख ऐसा ही लग रहा है।