तानिया शर्मा
एसएमएस के बाद अब जयपुरिया में आधुनिक सुविधाओं से लेस ट्रॉमा सेंटर बनाया जाएगा। यहां हादसे में घायल होने वाले लोगों को इलाज मिल सकेगा। यह 500 वर्गगज में 5.78 कराेड़ की लागत से बनेगा। परिवहन एवं सड़क सुरक्षा विभाग के रोड सेफ्टी फंड से बनने वाले ट्रॉमा सेंटर की राशि कमेटी की ओर से प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी कर दी गई है। इसमें विभाग 3.78 करोड़ रुपए सिविल और दो करोड़ रुपए जीवन रक्षक उपकरण एवं मशीनों के लिए देगा। मशीन एवं उपकरणों में सोनोग्राफी, ईसीजी, एक्सरे एवं जांच मशीनें आदि खरीदी जाएंगी, ताकि अस्पताल में आने वाले घायल मरीजों की जिन्दगी बचाई जा सके। घायलों को समय पर मिल सकेगा इलाज
ट्रॉमा सेंटर बनने के बाद अस्पताल में आने वाले घायल मरीजों काे समय पर इलाज मिल सकेगा। वर्तमान में अत्यधिक घायल मरीजों काे एसएमएस अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में रेफर कर दिया जाता है। वहीं एसएमएस अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर का लाेड भी कम हाेगा। आरयूएचएस कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज के प्राचार्य डॉ. विनोद जोशी व जयपुरिया अस्पताल के अधीक्षक डॉ. महेश मंगल ने बताया कि काफी समय से पैसे के चक्कर से ट्रोमा सेन्टर बनने का मामला अटका था। सरकार की अच्छी सोच के कारण स्वीकृति मिलने से गंभीर घायलों को समय पर इलाज कर जान बचाई जा सकेगी।
500 वर्गमीटर में बनेगा, ट्रॉमा में ये होगा खास
- इमरजेंसी को तोड़कर 500 वर्गमीटर भूमि पर बनेगा ट्रॉमा सेन्टर।
- इमरजेन्सी में 20 बैड, ऑपरेशन थिएटर में 2 टेबल, आईसीयू में 4 बैड।
- भर्ती होने से लेकर दवा, जांच और इलाज की सुविधा एक ही छत के नीचे।
- सोनोग्राफी, ईसीजी, एक्सरे, पैथोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री जांच सुविधा।
- न्यूरो, आर्थोपेडिक सर्जन, कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर 24 घंटे सातों दिन तैनात।
- कंप्यूटराइज्ड सेन्टर बनाया जाना प्रस्तावित। जिससे परिजनों को मरीज के बारे में जानकारी मिलती रहेगी। इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा।
- मरीज व परिजन की मॉनिटरिंग के लिए सीसीटीवी कैमरे।
- परिजन के लिए वेटिंग रुम ।
जयपुर में हर साल 1100 लाेगाें की हाेती है माैत
प्रदेश में हर साल एक्सीडेंट में 10400 लाेगाें की माैत हाेती है। इसमें से अकेले जयपुर जिले में हर साल 3205 एक्सीडेंट में 1100 लाेगाें की माैत हाे जाती है। 2745 लाेग घायल हाेते हैं। सबसे अधिक ग्रामीण क्षेत्र में 1040 एक्सीडेंट में 481 लाेगाें की माैत हो जाती है और 954 लाेग घायल हाेते हैं। दूसरे नंबर एक्सीडेंट जयपुर पूर्व और पश्चिम में हाेते हैं। दाेनाें काे मिलाकर हर साल 1400 एक्सीडेंट में 394 लाेगाें की माैत हाेती है। प्रदेश के 33 जिलों में से सबसे अधिक एक्सीडेंट जयपुर ग्रामीण और अजमेर जिले में हाेते हैं।