Breaking News
Home / Bhakti / नवरात्रि नारी शक्ति का पर्व

नवरात्रि नारी शक्ति का पर्व

देविका श्रीवास्तव

नवरात्रि का पहले  दिन को हिन्दू वर्ष का नववर्ष मानते है। अत्यंत भक्ति के साथ मनाए जाने वाली नवरात्रि चैत्र माह में आती है। नवरात्रि में महिलाये नौ दिनों तक पूजा-अर्चना कर व्रत रखती है। साथ ही धूम-धाम से नाच-गाने के साथ बुराई पर अच्छाई की जीत के दिन के रूप में याद रखकर लोग इसे एक त्यौहार के रूप में मनाते  है।  नवरात्रि के नौ दिनों तक अलग -अलग नौ देवियो की पूजा होती है , जिसमे पहली शैलपुत्री देवी  , दूसरी भ्र्मचारिणी देवी  , तीसरी चंद्रघंटा देवी , चौथी कुष्मांडा देवी , पांचवी स्कन्दमाता देवी , छठी कात्यायिनी देवी  , सातवीं कालरात्रि देवी ,आठवीं महागौरी देवी ,नौवीं माता सिद्धिरात्रि देवी को माना जाता है।  नवरात्री का समापन रामनवमी के साथ होता हैं। नवरात्रि स्त्री शक्ति या नारी शक्ति का पर्व हैं।

नवरात्रि मनाने का कारण :-  

रम्भासुर का पुत्र था महिषासुर, जो अत्यंत शक्तिशाली था। उसने कठिन तप किया था। ब्रह्माजी ने प्रकट होकर कहा- ‘वत्स! एक मृत्यु को छोड़कर, सबकुछ मांगों। महिषासुर ने बहुत सोचा और फिर कहा- ‘ठीक है प्रभो। देवता, असुर और मानव किसी से मेरी मृत्यु न हो। किसी स्त्री के हाथ से मेरी मृत्यु निश्चित करने की कृपा करें।’ ब्रह्माजी ‘एवमस्तु’ कहकर अपने लोक चले गए। वर प्राप्त करने के बाद उसने तीनों लोकों पर अपना अधिकार जमा कर त्रिलोकाधिपति बन गया। सभी देवता उससे परेशान हो गए।तब सभी देवताओं ने आदिशक्त जगनंबा (अंबा) का आह्‍वान किया और तब देवताओं की प्रार्थना सुनकर मातारानी ने चैत्र नवरात्रि के दिन अपने अंश से 9 रूपों को प्रकट किया। इन 9 रूपों को देवताओं ने अपने-अपने शस्त्र देकर महिषासुर को वध करने का निवेदन किया। शस्त्र धारण करके माता शक्ति संपन्न हो गई। कहते हैं कि नौ रूपों को प्रकट करने का क्रम चैत्र माह की शुक्ल प्रतिपदा से प्रारंभ होकर नवमी तक चला। इसीलिए इन 9 दिनों को चैत्र नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है।

विभिन्न राज्य में नवरात्री अलग अलग नाम से जाती हे:-

तमिलनाडु –   तमिलनाडु में अमावस्या को अंतिम श्राद्ध तर्पण के पश्चात् शुभ समय देखकर नौ सीढ़ियों का एक मंच स्थापित किया जाता है. नौ सीढ़ियां अगले नौ दिन के त्योहार का प्रतीक हैं।  बता दें कि ये लकड़ी की बनी फोल्डिंग होती हैं. इसे ‘गोलू पड़ी’ कहा जाता है ,  गोलू यानी मूर्तियां, गुड्डे-गुड़िया आदि इस पर सजाए जाते हैं तथा पड़ी को चढ़ाव कहा जाता है।   परंपरा के अनुसार, महिलाएं नौ दिनों में अपने बालों में गजरा पहनती हैं।

आंध्र प्रदेश –  आंध्र प्रदेश में गुड़ियों की सभा को बटुकम्मा पांडुगा कहा जाता है, जिसे नवरात्रि के दौरान सजाया जाता है. महिलाएं मौसमी फूलों से फ्लावर स्टैक बनाती हैं, जिन्हें बटुकम्मा के नाम से जाना जाता है. इसी की नौ दिनों तक पूजा की जाती है।   नवरात्रि के अंतिम दिन बटुकम्मा को किसी नदी में बहा दिया जाता है।

कर्नाटक –  कर्नाटक में नवरात्रि को नाडा हब्बा के रूप में मनाता है. ठीक उसी तरह जैसे इसे 1610 में विजयनगर राजवंश के दौरान मनाया जाता था. यहां लोग सड़क पर हाथियों का जुलूस निकालते हैं. बता दें कि मेले और प्रदर्शनियां भी लगाई जाती हैं।

केरल –   केरल में नवरात्रि के दौरान लोग सीखने की कला यानी आर्ट ऑफ लर्निंग का जश्न मनाते हैं. नवरात्रि के अंतिम तीन दिनों में यहां सरस्वती की मूर्ति के पास किताबें और संगीत वाद्ययंत्र रखे जाते हैं, जिसकी पूजा होती है. त्योहार के अंतिम दिन यहां लोग किताबें पढ़ने के लिए ले जाते हैं। इसी प्रकार  महाराष्ट्र में गुड़ी पाड़वा , बंगाल में दुर्गा पूजा , कर्नाटक नवरात्रि मनाकर इतिहास का सम्मान करता है  जिसे नादा हब्बा कहा जाता है।

Check Also

बियानी ग्रुप ऑफ कॉलेजेज में होली सेलिब्रेशन का हुआ आयोजन

Share this on WhatsAppराइटर : अनुष्का शर्मा जयपुर। विद्याधर नगर स्थित बियानी ग्रुप ऑफ कॉलेजेज …

Gurukpo plus app
Gurukpo plus app