क्यों मनाई जाती है बुद्ध पूर्णिमा

हमारे देश में अनेक धर्म  है, हिन्दू,मुश्लिम,सिक्ख,बौद्ध,जैन,इसाई प्रमुख है। सभी धर्मो के अपने अलग-अलग त्यौहार होते है ,जैसे हिन्दुओ का त्यौहार दीपावली तथा होली उसी प्रकार बौद्ध धर्म के लोगो का प्रमुख त्यौहार बुद्ध पूर्णिमा है। ये त्यौहार बोद्ध धर्म के लोगो द्वारा मनाया जाता है।
बुद्ध पूर्णिमा कब मनाई जाती है :-
बुद्ध पूर्णिमा भगवान बुद्ध के जन्मदिन के अवसर पर मनाई जाती है। यह वैशाख मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ, ज्ञान की प्राप्ति हुई तथा मोक्ष की प्राप्ति भी इसी दिन हुई जिस कारण यह दिन महात्मा बुध के लिए पवित्र दिन माना जाता है।बौद्ध धर्म के लोगों के लिए यह विशेष पर्व होता है। महात्मा बुध का बचपन का नाम सिद्धार्थ गौतम था। उनका जन्म वैशाख पूर्णिमा को हुआ तथा ज्ञान की प्राप्ति भी वैशाख पूर्णिमा के दिन बोधगया में पीपल के वृक्ष के नीचे हुई जिस वृक्ष को आज हम बोधि वृक्ष के नाम से जानते हैं। जो कि बिहार में स्थित है।
किस प्रकार मनाई जाती है बुद्ध पूर्णिमा :-
पूर्णिमा के दिन घर घर में खीर बनाई जाती है और भगवान बुद्ध को खीर का प्रसाद चढ़ाया जाता है। गौतम बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त के बाद खीर खाकर ही अपना व्रत खोला था। इस दिन बौद्ध मंदिरोंको बहुत ही अच्छे से सजाया जाता है और वहां पर बौद्ध प्रार्थनाओं का आयोजन किया जाता है। सूर्योदय होने से पहले पूजा स्थल पर इकट्ठा होकर प्रार्थना और नृत्य किया जाता है। कुछ जगह पर परेड और शारीरिक व्यायाम करके भी बुद्ध पूर्णिमा का उत्सव मनाया जाता है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन सूर्योदय के बाद मंदिर और धार्मिक स्थलों पर बौद्ध झंडा फहराया जाता है। यह झंडा नीले, लाल, सफ़ेद, पीले और नारंगी रंग का होता है। लाल रंग आशीर्वाद, सफेद रंग धर्म की शुद्धता का, नारंगी रंग को बुद्धिमत्ता का, और पीले रंग को कठिन स्थितियों से बचने का प्रतीक माना जाता है।
बुद्ध पूर्णिमा के दिन कुछ लोग पिंजरे में कैद पक्षियों और अन्य जानवरों को आजाद करके भी मनाते हैं।श्रीलंकाई इस दिन को ‘वेसाक’ उत्सव के रूप में मनाते हैं जो ‘वैशाख’ शब्द का अपभ्रंश है। इस दिन बौद्ध घरों में दीपक जलाए जाते हैं और फूलों से घरों को सजाया जाता है।दुनियाभर से बौद्ध धर्म के अनुयायी बोधगया आते हैं और प्रार्थनाएं करते हैं।बौद्ध धर्म के धर्मग्रंथों का निरंतर पाठ किया जाता है।गया के बोधिवृक्ष की पूजा की जाती है। उसकी शाखाओं पर हार व रंगीन पताकाएं सजाई जाती हैं। जड़ों में दूध व सुगंधित पानी डाला जाता है। वृक्ष के आसपास दीपक जलाए जाते हैं। दिल्ली संग्रहालय इस दिन बुद्ध की अस्थियों को बाहर निकालता है जिससे कि बौद्ध धर्मावलंबी वहां आकर प्रार्थना कर सकें।
भारत के साथ साथ चीन, नेपाल, सिंगापुर, वियतनाम, थाइलैंड, जापान, कंबोडिया, मलेशिया, श्रीलंका, म्यांमार, इंडोनेशिया, पाकिस्तान जैसे दुनिया के कई देशों मे बुद्ध पूर्णिमा के दिन बुद्ध जयंती मनाई जाती है. भारत के बिहार राज्य में स्थित बोद्ध गया बुद्ध के अनुयायियों सहित हिंदुओं के लिये भी पवित्र धार्मिक स्थल है. कुशीनगर में बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर लगभग एक माह तक मेला लगता है .
 बुद्ध पूर्णिमा का इतिहास :-
वैशाख की अमावस्या को लुम्बिनी नमक स्थान पर शुद्धोधन तथा मायादेवी के घर में पुत्र रत्न के रूप में सिद्धार्थ का जन्म हुआ। यही सिद्धार्थ बड़े होकर गौतम बुद्ध अथवा महत्मा बुद्ध कहलाये थे। 29 वर्ष की आयु में महत्मा बुद्ध ने गृह को त्याग दिया और भक्ति करने चले गए। लगातार सात साल की कठोर तपस्या के बाद महात्मा बुद्ध की 35 वी जयंती पर वैशाख की अमावस्या को उन्हें पीपल के पेड़ के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ। जिसके बाद उन्होंने अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया था। 80 वर्ष की आयु में भगवान बुद्ध की मृत्यु हो गई , पर खास बात ये थी.कि बुद्ध का जन्म,ज्ञान तथा मृत्यु वैशाख की आमवस्या को हुआ था।
भगवान बुद्ध की शिक्षाएं व नियम :-
भगवान बुद्ध ने अपना पहले उपदेश में चार सत्य बाते बताई जो बौद्ध धर्म की नीव बन , बुद्ध के सभी उपदेश आज सभी के लिए वरदान साबित हुए है ,उनके उपदेश आज भी लोगो को शिक्षा का पथ दिखाते है, महत्मा बुद्ध का सबसे महत्वपूर्ण सद्धांत प्रतीत्य समुत्पाद है
बौद्ध धर्म के त्रिरत्न :-
1. बुद्ध
2. धम्म
3. संघ
चार परम सत्य :-
पहला परम सत्य मानव का दुःख है, दूसरा परम सत्य दुःख का कारण है, तीसरा परम सत्य दुःख का निदान है, चौथा परम सत्य दुःख निदान का साधन है
आठ पथ :-
सम्यक दृष्टि , सम्यक संकल्प ,सम्यक वाणी ,सम्यक कर्मान्त ,सम्यक आजीव ,सम्यक व्यायाम ,सम्यक स्मृति ,सम्यक समाधि
बुद्ध के शील :-
जीवन ने कभी किसी की हत्या नहीं करना , कभी भी चोरी नहीं करना , किसी का धन नहीं खाना , जीवन में नशा नहीं करना , हमेशा सत्य का साथ देना।
राधिका अग्रवाल

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