Biyani Times

होम्योपैथी : नई सोच, नई दिशाएं

alternative medicine with homeopathic globules on leaf

साबूदाने जैसी दिखने वाली होम्योपैथी की गोलियों से क्या होगा? एलोपैथी ही ठीक, ऐसा सोचना अब बीते दिनों क ी बात हो गई। होम्योपैथी की चिकित्सा से रोगों को जड़ से हमेशा के लिए समाप्त किया जा सकता है। हाल ही में बियानी टाइम्स की टीम ने होम्योपैथी के डॉक्टर से बात की। इन्होनें इस ट्रीटमेंट के कई फ ायदे बताए और होम्योपैथी के सम्बन्ध में प्रचलित कई भ्रान्तियों को दूर किया।

प्रश्न:क्या होम्योपैथी दवाईयों का असर देर से होता है?
उत्तर: ऐसा बिल्कुल नहीं है। ज्यादातर मामलों में रोगी होम्योपैथी डॉक्टर के पास लंबे समय से हो रही बीमारी या एक से अधिक रोगों के ईलाज के लिए आता है, जिसके कारण कभी-कभी ज्यादा समय लगता है। होम्योपैथी दवाईयों से डेंगू, मलेरिया जैसे रोग भी सिर्फ ३ दिन में, टाइफ ाइड ७ दिन मेंं और १०६ डिग्री बुखार केवल दो खुराक से सही किया जा सकता है।
प्रश्न: होम्योपैथी में सफ ेद गोलियां ही क्यों इस्तेमाल की जाती हैं?
उत्तर: होम्योपैथी की सफ ेद गोलियां दवाई नहीं है, ये दवाई पहुंचाने का माध्यम हैं। इन गोलियों को बनाने वाला पाउडर हौेलेण्ड से आता है। वहां की गायों के दूध से पाउडर बनाया जाता है, जिससे ये गोलियां तैयार की जाती हैं। रोगी द्वारा बताए गए जीवन इतिहास और रोग के लक्षणों के आधार पर इन गोलियों में दवाई मिलाई जाती है।
प्रश्न: ये गोलियां मीठी होती है? क्या डायबिटीज के रोगी भी ये गोलियां ले सकते हैं?
उत्तर: इन दवाओं में शुगर की मात्रा ना के बराबर होती है। इसलिए डायबिटीज के रोगी भी इस पद्धति से इलाज करवा सकते हैं। अगर किसी रोगी को ज्यादा ही तकलीफ हो तो वह इन दवाइयों को पानी के साथ ले सकता है।
प्रश्न: क्या होम्योपैथी उपचार में कई तरह के परहेज रखने पड़ते हैं?
उत्तर: होम्योपैथी दवाइयां जीभ से अवशोषित होती हैं, इसलिए इन्हें लेने से पहले और बाद में १५ मिनट तक जीभ और मुंह साफ होना जरूरी होता है। इस उपचार में रोगी को बीमारी के अनुसार सामान्य परहेज की सलाह दी जाती है। जैसे खाने में ऊपर से नमक डालकर ना खाएं, कॉफ ी, लाल प्याज और अचार के सेवन से बचें।
प्रश्न: बियानी टाइम्स के पाठकों को आप क्या संदेश देना चाहेंगे?
उत्तर: इन दिनों मौसम परिवर्तन के कारण वायरल फ ीवर फ ैल रहा है। ऐसे में मेरा सबसे पहला संदेश यही है कि कोई भी व्यक्ति खाली पेट ना रहे। सूर्योदय से पहले उठें, सुबह ८ बजे से पहले नाश्ता कर लें और सुबह ११ से १ बजे के बीच कुछ ना खाऐं। पर्याप्त मात्रा में पानी पियें और गंदगी व मच्छरों से बचकर रहें।

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