जापान में स्टार्टअप बिजनेस प्लान प्रतियोगिता 2025 में प्राप्त किया प्रथम स्थान
बियानी ग्रुप ऑफ कॉलेजेज़ के रिसर्च एंड डेवलपमेंट डायरेक्टर और बायोसीड्स कंपनी लिमिटेड के संस्थापक एवं सीईओ डॉ. मनीष बियानी ने जापान में आयोजित स्टार्टअप बिज़नेस प्लान प्रतियोगिता 2025 में प्रथम स्थान प्राप्त किया। उन्हें यह सम्मान इशिकावा प्रान्त के गवर्नर हिरोशी हासे द्वारा सर्वश्रेष्ठ उद्यमी पुरस्कार के रूप में प्रदान किया गया।
6 मिलियन येन सब्सिडी और तीन वर्षों तक इनक्यूबेशन सुविधा
प्रथम स्थान के साथ डॉ. बियानी को 6 मिलियन येन (लगभग 35 लाख रुपये) की सब्सिडी और तीन वर्ष तक इनक्यूबेटर सुविधा में निशुल्क कार्यालय स्थान प्राप्त होगा, साथ ही ISICO और अन्य औद्योगिक एवं वित्तीय संस्थानों की विशेषज्ञ टीम से व्यवसायिक सहयोग और मार्गदर्शन भी मिलेगा।
प्रतियोगिता का उद्देश्य
यह प्रतियोगिता इशिकावा सनराइज इंडस्ट्रीज़ क्रिएशन ऑर्गनाइजेशन (ISICO) द्वारा आयोजित की गई थी, जिसका उद्देश्य ऐसे उद्यमियों को प्रोत्साहित करना है जिनके विचार नए उद्योगों के निर्माण और क्षेत्रीय विकास में योगदान दे सकें। प्रतियोगिता का आदर्श वाक्य “इशिकावा से दुनिया तक” स्थानीय नवाचार को वैश्विक प्रभाव में बदलने की दिशा में प्रेरित करता है।
अप्रैल से जून 2025 के बीच आयोजित चयन प्रक्रिया में जापान से आए 80 बिज़नेस प्लान्स में से केवल 7 फाइनलिस्ट चुने गए। फाइनल दौर में प्रतिभागियों ने उद्योग विशेषज्ञों की समिति के सामने अपने AI-आधारित हेल्थकेयर और निदान तकनीक से जुड़े प्रस्ताव प्रस्तुत किए।
इसी दौरान, डॉ. मनीष बियानी ने अपने स्टार्टअप “बायोम्यूरन” का प्रस्तुतिकरण किया—एक अत्याधुनिक, लघुकृत जेल इलेक्ट्रोफोरेसिस उपकरण, जो तेज़, सटीक और कम लागत में आणविक निदान की सुविधा प्रदान करता है, और जिससे चिकित्सा क्षेत्र में त्वरित परीक्षण की संभावनाएँ बढ़ती हैं।
प्रस्तुति के दौरान डॉ. मनीष बियानी ने जापान में अपने 20 वर्षों के शोध अनुभव और साईतामा विश्वविद्यालय, टोक्यो विश्वविद्यालय तथा JAIST जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से लेकर इशिकावा में स्टार्टअप स्थापित करने तक की अपनी यात्रा साझा की। उन्होंने कहा कि नवाचार को सफल बनाने के लिए दो सिद्धांत सबसे महत्वपूर्ण हैं—“Simple” और “Focus।” पुरस्कार प्राप्त करने के बाद डॉ. बियानी ने बताया कि इशिकावा का उद्यमशील वातावरण शोधकर्ताओं को अपने विचारों को वास्तविक समाधान में बदलने के लिए प्रेरित करता है, और यह उपलब्धि न केवल जापान, बल्कि भारत के लिए भी गर्व का क्षण है।