1.अस्थमा के क्या संकेत है?
कई शोध मे ये बात सामने आई है कि अस्थमा के रोगियों को सांस लेने में तकलीफ होती है। इसके साथ ही सीने में दर्द और खांसी जैसी समस्याएं भी होती है। हांलाकि हर मामले में ये संकेत थोड़े अलग हो सकते हैं।
2.क्या सामान्य खांसी अस्थमा का रूप ले सकती है?
वैसे तो खांसी अस्थमा से बिल्कुल अलग होती है पर ये भी सही है कि अस्थमा से पीड़ित लोगों में खांसी भी एक लक्षण होता है,और साथ ही अगर आपको नियमित रूप से खांसी हो रही है तो ये एक आम खांसी नहीं हो सकती। लगातार खांसी अस्थमा का रूप ले सकती है। हांलाकि आमतौर पर अस्थमा में खांसी घबराहट के साथ होती है और इसमें सांस भी ज़ोर-ज़ोर से ली जाती है।
3.अस्थमा और खांसी में क्या सम्बन्ध है?
इन दोनों में सम्बन्ध जानने से पहले हम ये जान लेते हैं कि अस्थमा और खांसी क्या है। खांसी आपके फेंफडों से वायरस,बैक्टिरिया या स्त्राव जैसे हानिकारक कणों को हटाने के लिए शरीर की एक स्वाभाविक प्रक्रिया है,जबकि अस्थमा वो बीमारी है जिसमें फेंफडों और इसके चारों ओर वायुमार्ग पर दबाव पडता है जिससे कि सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है।
4.प्राकृतिक चिकित्सा से अस्थमा का इलाज सम्भव है?
रोग का आरम्भ होते ही नमक और सफेद चीनी छोड देना चाहिए और दूध,फल,सब्जी,गेहूं का दलिया या बिना छने आटे की रोटी खाकर रहना चाहिए। रोज़ प्रातकाल रीढ की हड्डी को सीधे रखकर खुली और स्वच्छ वायु में 7-8 बार गहरी शंवास को लेना और निकालना चाहिए और कुछ दूर प्रात काल टहलना चाहिए। पेट को सदा साफ रखना चाहिए और कब्ज ना हो इसका ध्यान रखना चाहिए। चिन्ता आदि मानसिक रोगों से बचना चाहिए। धूंए और गन्दी हवा से बचना चाहिए। नित्य प्रात काल कुछ देर के लिए धूप का सेवन करना चाहिए और उसी समय छाती पर सरसों के तेल की मालिश भी करनी चाहिए।साधारण उपचार के लिए रविवार को उपवास करना चाहिए। बस इतना करने से ही साधारण दमे की बीमारी दूर हो जाएगी और रोग अपनी जड नहीं जमा पाएगा।