जॉब ओपरच्युनिटी: कोविड-19 के चलते पैदा हुई आर्थिक मंदी ने पूरी दुनिया के लेबर मार्केट में मौजूद असमानता को और गहरा दिया है। वैश्विक स्तर पर वर्कर्स को एक गंभीर जॉब अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है। इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन के डाटा के अनुसार 2020 की पहली छमाही में बेरोजगारी की वास्तविक दर में 6.6 फीसदी का उछाल दर्ज हुआ।
महामारी के बाद कई इंडस्ट्रीज और बिजनेसेज के रूप को पूरी तरह बदल दिया है। इसी के मद्देनजर आने वाले समय में करिअर बनाने की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स के लिए अपनी चॉइसेज का विश्लेषण करना जरूरी हो जाता है। इसके लिए सबसे पहले स्टूडेंट्स को ऐसे सेक्टर्स की पहचान करनी होगी जहां महामारी ने जॉब की ऑपर्च्युनिटीज पैदा की हैं और भविष्य में भी मांग के बने रहने की उम्मीद भी है।
जॉब ओपरच्युनिटी:डिजिटल मार्केटिंग
सत्य नडेला के अनुसार महामारी के दौरान माइक्रोसॉफ्ट ने दो महीनों में डिजिटल स्पेस में इतना बदलाव अनुभव कर लिया है, जितना आमतौर पर दो साल में होता है। इसमें रिमोट टीम्स से लेकर डिस्टेंस कोलैबोरेशन और मार्केटिंग अकाउंट मैनेजमेंट तक कई बदलाव देखे गए। जहां कोविड से पूर्व ऑनलाइन खरीदारी नहीं करने वालों की संख्या 40 से 50 फीसदी थी, वह कोविड के बाद घटकर 25 फीसदी रह गई है। इन ट्रेंड्स ने मांग को बढ़ाया है।
आईटी सेक्टर :
कोविड के बाद बिजनेसेज को बड़े पैमाने पर डिजिटाइजेशन और ऑन-क्लाउड सर्विसेज को अपनाते देखा गया। इसी के मद्देनजर क्लाउड सिक्योरिटी की मांग में 13% तक वृद्धि हो सकती है। दूसरी ओर इंटरनेट के उपयोग के बढ़ने के साथ ही आईओटी इंजीनियर्स व आईओटी आर्किटेक्ट्स की मांग 9.6% और आईओटी एनालिस्ट की मांग 8.1% बढ़ेगी।
डाटा एनालिटिक्स :
महामारी के बाद डाटा का इस्तेमाल नए रिकॉर्ड कायम कर रहा है। ओटीटी प्लेटफॉर्म्स से लेकर स्मार्ट गैजेट्स तक डेटा की ही मांग है। इंश्योरेंस सेक्टर से लेकर टेक्नोलॉजी, बैंकिंग और इंडस्ट्रीज में भी इनकी डिमांड है। फेसबुक, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, एनवीडिया, जेपी मॉर्गन चेज, हार्टफोर्ड इंश्योरेंस जैसी कई कंपनियां हायर कर रही हैं।
सबसे ज्यादा प्रभावित सेक्टर्स :
आरबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले सेक्टर्स में एविएशन, ऑटोमोबाइल, कंस्ट्रक्शन, एमएसएमई, टूरिज्म और हॉस्पिटैलिटी जैसे क्षेत्र शामिल हैं।