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भारत की पहली महिला पायलट ने विमान उड़ाकर रच दिया था इतिहास

भारत की पहली महिला पायलट ने विमान उड़ाकर रच दिया था इतिहास

भारत की पहली महिला पायलट ने विमान उड़ाकर रच दिया था इतिहास

अनुष्का शर्मा

कौन हैं सरला ठकराल ?

सरला ठकराल पहली भारतीय महिला पायलट होने के साथ-साथ एक डिजाइन और एक उद्यमी भी थीं। उनके पति एक एयरमिल पायलट रह चुके थे, जिनकी वजह से उनको विमान उड़ाने की प्रेरणा मिली थी।

सरला ठकराल ने अपने पति से प्रेरित होकर पायलट बनने की ट्रेनिंग शुरू की थी। 1936 में जब सरला ठकराल ने पहली बार विमान को उड़ाया उस वक्‍त उनकी उम्र 21 साल थी। सरला उस समय चार साल की एक बेटी की मां थीं। पहली उड़ान से आसमान की ऊंचाइयों को छूने के साथ-साथ एक नया इतिहास भी रच दिया था।

 

 107वीं जयंती पर खास डूडल बनाकर श्रद्धांजलि दी है। इस डूडल में उनकी उपलब्धियों को दिखाया गया है

 

इस डूडल पर क्लिक करने से आपको सरला ठकराल की जिंदगी से जुड़ी जानकारियां मिल जाएगी। वहीं आपको बता दें उनके सम्मान में बनाए गए गूगल के डूडल को आर्टिस्ट वृंदा झावेरी ने बनाया है।

गूगल ने पायलट की जयंती पर कहा कि सरला ठुकराल देश की सभी महिलाओं के लिए एक मिसाल है। यही कारण है कि हमने उनकी याद में 107वीं जयंती के मौके पर ये डूडल बनाया है। गूगल ने आगे कहा कि, सिर्फ 21 साल की उम्र में साड़ी पहन कर विमान में कदम रखा और अकेले ही अपनी पहली उड़ान भरी।

भारत की पहली महिला पायलट

अपने सपनों को साकार करके आकाश में उड़ने वाली भारत की पहली महिला पायलट सरला ठाकुर का जन्म 8 अगस्त 1914 को दिल्ली में हुआ था। ये भारत की पहली महिला पायलट थीं। सिर्फ 21 साल की उम्र में सरला ने विमान में पहली बार कदम रखा था और उन्होंने इस विमान को अकेले ही उड़ाया था। इसके बाद वे हर जगह सुर्खियों में छा गईं। सरला ठकराल के पति कैप्‍टन पीडी शर्मा एयरमेल पायलट थे। सरला ने अपने पति से इंस्पायर हो कर पायलट की ट्रेनिंग शुरु की थी। इसके बाद वे लाहौर चली गई थीं।

सरला ठकराल ने लाहौर के फ्लाइंग क्लब में स्टूडेंट के तौर पर 1000 घंटे तक फ्लाइट टाइम पूरा कर लाइसेंस प्राप्त किया था। लाइसेंस प्राप्त करने वाली ये पहली भारतीय थीं।

कमर्शियल पायलट

सरला ठकराल के पति का एक विमान हादसे में 1939 में निधन हो गया था। इसके बाद सरला ने कमर्शियल पायलट बनने का फैसला किया और फिर कमर्शियल पायलट के लिए ट्रेनिंग लेना शुरू कर दी।

लेकिन उस समय दूसरे विश्वयुद्ध चलने के कारण ट्रेनिंग को बीच में रोकना पड़ा। इसके बाद उन्होंने लाहौर के नेशनल कॉलेज ऑफ आर्ट्स से फाइन आर्ट्स और पेंटिंग की पढ़ाई शुरू की। इसके बाद 1947 में सरला दिल्ली आ गईं और यहां से उन्होंने पेंटिंग करना जारी रखा। सरला ठकराल का निधन 15 मार्च 2008 को हुआ था।

 

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