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वन सर्वे २०१७ की रिपोर्ट: प्रदेश में 2 सालों में बढ़ी हरियाली

वन और पर्यावरण प्रेमियों के लिए एक अच्छी सूचना है. राज्य में 466 वर्ग किलोमीटर  हरियाली बढ़ गयी है. केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के अधीन आने वाले देहरादून स्थित भारतीय वन सर्वे 2017 की रिपोर्ट के अनुसार राज्य के 21 जिलों में ६७३ वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र का इजाफा हुआ है. वन क्षेत्र बढ़ने के मामले में प्रदेश का ७वां स्थान है. इस सर्वे में पहली बार ३३ जिलों को शामिल किया गया है इससे पहले केवल २९ जिलों के वन क्षेत्र को ही शामिल किया जाता था. २०१५ के आंकलन के मुकाबले २०१७ में प्रदेश के वन क्षेत्र एसा 466 वर्ग किलोमीटर का इजाफा हुआ है. इससे २०१३ के मुकाबले २०१५ में ८५ वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र बढ़ा था. इस सुर्वे की ख़ास बात ये है की इअसे जिलों में भी हरियाली बढ़ी है जिसकी पहचान मरू जिलों के रूप में की जाती रही है. इस रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के जैसलमेर, बाढ़मेर, बूंदी, जालोर जैसे जिलों में सबसे अधिक वन क्षेत्र बाधा है. रिपोर्ट के अनुसार अब राज्य में १६५७२ वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र है. इस सर्वे की सूचि में पहले स्थान पर आन्ध्रप्रदेश है जहा पर २१४१ वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र है. इसके बाद कर्नाटक ११०१ वर्ग किलोमीटर  के साथ दुसरे स्थान पर, केरल १०४३ वर्ग किलोमीटर के साथ तीसरे स्थान पर, उड़ीसा ८८५ वर्ग किलोमीटर के साथ चौथे स्थान पर, असम वर्ग किलोमीटर के साथ पांचवे स्थान पर, तेलंगाना वर्ग किलोमीटर के साथ छटवे स्थान पर और राजस्थान 466 वर्ग किलोमीटर के साथ सातवे स्थान पर है. प्रदेश में पिछले कई सालों में सरकारी योजनाओं के साथ आमजनता ने भी हरियाली को बढ़ावा दिया है मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान के तहत प्रदेश में बड़े पैमाने पर प्लांटेशन किया गया जिसका असर इस सर्वे की रिपोर्ट से सामने आया. वन क्षेत्र के बढ़ने का मतलब है कि इसका असर उस वन क्षेत्र पर आश्रित जीव जंतु पर भी पड़ेगा. आजकल हम अकसर रिहायशी इलाकों में जंगली जानवरों के घुसने की खबर पढ़ते रहते है. जिसका कारण है, इन जानवरों के भोजन और रहने के क्षेत्र में कमी आना लेकिन अगर वन क्षेत्र बढ़ेंगे तो जानवरों को जंगल में ही पर्याप्त भोजन मिल पायेगा और वे शहरी क्षेत्र की और रूख नहीं करेंगे. उम्मीद है की इन जंगली जानवरों को वन क्षेत्र में ही आश्रय मिले.

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