बेंगलूरू। देश में ये जल्द ही संभव हो सकेगा जब एक ट्रेन प्लेन से भी ज्यादा तेजी गति से दौड़ेगी। ये संभव हो पाएगा हाइपरलूप ट्यूब तकनीक के जरिए । कुछ महिने पहले ही हाइटेक इनोवेशन का ग्लोबल हब माने जाने वाले अमरिकी वेस्ट कोस्ट की यात्रा से लौटे केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि उन्होंने टेस्ला के अफसरों से भविष्य में बनाई जा रही योजनाओं के बारे में जानकारी ली। हाइपरलूप का आइडिया सबसे पहले साल 2013 में सामने आया था। इस तकनीक में एक खास ट्यूब के भीतर उच्च वायुदाब के जरिए एक विशेष इंकोनेल(डिब्बे जैसी ट्रेन) को चलाया जाता है । यह इंकोनेल हवा के गद्दे(एयर कुशन) पर बहुत तेज गति से चलता है। इंकोनेल को शुरूआती गति देने व बिना धक्के के रोकने के विद्युत चुंबक का प्रयोग किया जाता है। इस पर पहली बार टेस्ला मोटर्स व स्पेस एक्स के फाउंडर एलन मस्क ने 2013 में काम किया था। जानकारी के मुताबिक एक हाइपरलूप पॉड में 6 से 8 लोग यात्रा कर सकते हैं। बहरहाल मुंबई से पुणे के बीच इसे चलाने पर विचार किया जा रहा है। ये सफर महज 25 मिनट में पूरा हो सकेगा। इस योजना को तैयार करने के लिए कंपनी के 25 इंजिनियर भारत पहुंच गए है। एचटीएस के प्रस्ताव के अनुसार इस सुपर हाईस्पीड ट्रेन की लागत 6734 करोड़ रूपए आएगी। इसकी गति विमान से ज्यादा लगभग 1216 किमी प्रति घंटा होगी।