इन्टरनेट यूजर्स का डाटा चोरी होने के कारन देश में बहस छिड़ी हुई है. इस बीच में राजस्थान सरकार ने देश का पहला डाटा सिक्यूरिटी ऑपरेशन सेंटर जयपुर में बनाने का फैसला किया है. ये खबर उन लोगो के लिए तहत के रूप में है जिनका पर्सनल डाटा किसी न किसी रूप में सरकार की वेबसाइट पर लोड है. प्रदेश में भामाशाह के ज़रिये सरकार हर योजना को डिजिटल करने जा रही है. सरकार के विभिन्न विभागों में करीब २०० इन्टरनेट आवेदनों में हर रोज़ १८ लाख एंट्री की जा रही है. इन एंट्रियों में युसेर्स के डाटा को चोरी होने से रोकने के लिए और सेंधमारी से बचाने के लिए डाटा सिक्यूरिटी ऑपरेशन सेंटर तैयार किया जा रहा है जो अगले तीन महीनों में पूरी तरह काम करना शुरू कर देगा. सिक्यूरिटी सेंटर के साथ सबसे बड़ा डाटा सेंटर भी बनाया जा रहा है. यह सेण्टर गूगल और फेसबुक के डाटा सेंटर की तरह ही आधुनिक होगा. मौजूदा समय में प्रदेश में सरकारी विभागों में होने वाले ट्रांज़ेक्शन में ३.५ पता बाइट डाटा जनरेट हो रहा है. नए डाटा सेंटर की क्षमता ६०० रेक्स की होगी जो अगले एक दशक तक प्रदेश के डाटा स्टोरेज की ज़रूरत पूरी कर सकेगा. डाटा सिक्योरिटी को लेकर प्रदेश में २०१५ में इनफार्मेशन सिक्यूरिटी पालिसी जारी की जा चुकी है. इस पालिसी के मुताबिक डाटा सुरक्षित रखने के लिए फॉर लेयर सिक्यूरिटी है. आपको बता दे की डाटा की चोरी का सबसे ज्यादा खतरा थर्ड पार्टी एक्स्सेस से होता है लेकिन राजस्थान में इनफार्मेशन सिक्यूरिटी पालिसी के मुताबिक सरकारी विभागों से इकठा होने वाला डाटा का थर्ड पार्टी एक्स्सेस नहीं. इस डाटा सेंटर को फोर लेयर सिक्यूरिटी दी गयी है. इसके ज़रिये ट्रांज़ेक्शन पॉइंट से सर्वर और इसके बाद यूजर तक पहुचने वाली जानकारी को सुरक्षित रखा जा सकता है. आपको बताते है की डाटा लीक कैसे होता है डाटा लीक होने का पहला पॉइंट वह होता है जहा से ट्रांज़ेक्शन किया जा रहा है. सर्कार की स्पष्ट निर्देश है की जिस उपकरण से ट्रांज़ेक्शन हो रहा है वो एनक्रिप्टेड फॉर्म में होगा . सर्वर की सुरक्षा के लिए फिजिकल सिक्यूरिटी का बंदोबस्त किया गया है. डाटा सेंटर पूरी तरह सीसीटीवी की निगरानी में रहेगा. पूरे देश में इन्टरनेट यूजर दस डाटा लीक होने की बहस छिड़ी हुई है ऐसे में उम्मीद की जनि चाहिए की इस डाटा सिक्यूरिटी ऑपरेशन सेंटर के माध्यम से यूजर का डाटा सुरक्षित रखा था सकेगा.