Biyani Times

बिटकॉइन में निवेश कितना उचित?

दीपेश शुक्ला डेवलपर बियानी गल्र्स कॉलेज

बिटकॉइन की कीमतों में आई तेजी के कारण निवेशकों में इसके प्रति झुकाव बड़ा है। पिछले दिनों इसकी कीमत 17000 डॉलर से भी ज्यादा हो चुकी है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने एक बार फिर इस में निवेश करने से जुड़े जोखिमों के बारे में जनता को चेताया है, इससे पहले सुप्रीम कोर्ट भी सरकार, आरबीआई और फाइनेंस मिनिस्ट्री से वर्चुअल करेंसी के रेगुलेशन के लिए पॉलिसी बनाने को कह चुका है। अभी हाल ही में आयकर विभाग ने देशभर के बिटकॉइन एक्सचेंजों पर छापामारी की थी। इतने सारे  जोखिम होने के बाद भी निवेशक इसे एक तेजी से पैसा बनाने का साधन मानकर पैसा निवेश कर रहे हैं। बहुत सी कंपनियां हैं जो इस स्टार्टअप के दौर में वर्चुअल करेंसी को बिजऩेस अपॉर्चुनिटी के तौर पर देख रही है। कुछ कंपनियां लोगों से वर्चुअल करेंसी में पैसा लगाने के लिए अलग-अलग नेटवर्क मार्केटिंग प्लान लेकर मार्केट में आ गई हैं। वर्चुअल करेंसी एक ‘पियर टू पियर नेटवर्कÓ पर आधारित होती है जिसका मूल आधार ब्लॉकचेन होती है। पियर टू पियर नेटवर्क यानी जिसका कोई एक केंद्रीय सर्वर नहीं है। इसका सारा डाटा हर यूजर के पास रहता है, किसके पास कितने बिटकॉइन है और किसने किसको कितने बिटकॉइन भेजे इसकी जानकारी हर यूजर के पास रहती है। यह सारी जानकारी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के माध्यम से संभव होती है। हालांकि जानकारी के रूप में ट्रांजेक्शन करने वाले के आईपी एड्रेस की ही जानकारी रहती है। भारत में सरकार के नियम सख्त होने के कारण बिटकॉइन एक्सचेंज आपके पैन कार्ड और आधार कार्ड की भी जानकारी लेते हैं, लेकिन इसे ब्लॉकचेन में इस्तेमाल नहीं किया जाता है। वहीं दूसरी और पारंपरिक बैंकिंग तकनीक में सारा डाटा किसी एक केंद्रीय सर्वर पर मौजूद रहता है जिसकी जानकारी सिर्फ बैंक के कर्मचारियों को रहती है। पारदर्शिता ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी की सबसे खास बात है।

बिटकॉइन का आविष्कार सातोशी नाकामोतो नाम के एक शख्स ने साल 2008 में किया था। इस व्यक्ति की आज तक कोई पहचान नहीं हो पाई है। यह कौन है कहां रहता है कैसा दिखता है यह कोई नहीं जानता लेकिन आज की बिटकॉइन की कीमत के हिसाब से सातोषी नाकामोतो के पास इतनी दौलत है कि वह दुनिया के 100 सबसे अमीर लोगों में शामिल है। टेक्नोलॉजी की दुनिया में तहलका मचा देने वाली खोज करने वाला इंसान कभी दुनिया के सामने नहीं आया, यह बात संदेह भी पैदा करती है कि जिस इंसान ने टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार पाने जैसा काम किया हो वह अपनी पहचान छुपाना क्यों चाहता है?

भारत सरकार ने अभी तक वर्चुअल करेंसी को लेकर कोई कानून नहीं बनाया है परंतु सूत्रों की माने और कुछ अखबारों में छपी खबरों के अनुसार भारत सरकार जल्द ही लक्ष्मी कॉइन के नाम से अपनी आधिकारिक वर्चुअल करेंसी निकालने जा रही है। लक्ष्मी कॉइन के आने के बाद अन्य वर्चुअल करेंसी के भविष्य का क्या होगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन एक बात तो तय है कि भविष्य में डिजिटल वर्ल्ड में वर्चुअल करेंसी किसी न किसी रूप में अपना अस्तित्व बनाए रखेगी चाहे वह सरकारों और बैंकों द्वारा बनाई गई वर्चुअल करेंसी के रूप में ही क्यों ना हो और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर रिसर्च की जानी चाहिए और ऐसा लगता है कि इसका इस्तेमाल भविष्य में बहुत सारी उपयोगी चीजों को बनाने में किया जा सकता है।

SOURCE-Biyani Times

 

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