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क्या है प्राइवेट एजुकेशन इंस्टीट्यूशन रेगुलेटरी अथॉरिटी बिल

जाने क्या है प्राइवेट एजुकेशन इंस्टीट्यूशन रेगुलेटरी अथॉरिटी बिल !

जाने क्या है प्राइवेट एजुकेशन इंस्टीट्यूशन रेगुलेटरी अथॉरिटी बिल !

कोरोना महामारी के कारण अभी तक विभिन्न तरह की समस्याओं से जूझ रहे प्राईवेट शिक्षण संस्थानों पर एक और संकट बढ़ता नजर आ  रहा है। वर्तमान सरकार इसी विधानसभा सत्र में राजस्थान प्राईवेट एज्यूकेशनल इंस्टीट्यूशंस रेगुलेटरी अथॉरिटी बिल – 2023 के माध्यम से प्राइवेट शिक्षण संस्थाओं को नियंत्रित करने की योजना को साकार करने की पूरी तैयारी कर चुकी है। प्रदेश में संचालित निजी शिक्षण संस्थानों (प्री – प्राईमरी से विश्व विद्यालय तक) की कार्यप्रणाली पर प्रभावी नियंत्रण एवं निगरानी हेतु विनियामक प्राधिकरण राजस्थान प्राईवेट एज्यूकेशनल इंस्टीट्यूशंस रेगुलेटरी अथॉरिटी बिल – 2023 पारित करने की बात कही जा रही है। अगर यह बिल पारित हो जाता है तो प्राधिकरण के संचालन हेतु प्रदेश की प्रत्येक निजी शिक्षण संस्था  से उनके कुल फीस का  एक प्रतिशत तक प्रतिवर्ष वसूल किया जाएगा और यह वसूली निरीक्षण और रजिस्ट्रेशन के नाम से की जाएगी।

 

इसके अलावा इस प्राधिकरण के पास जुर्माना वसूली करने, शास्ति (पेनल्टी) लगाने तथा निजी शिक्षण संस्थानों की मान्यता / क्रमोन्नति निलंबित / बर्खास्त करने की अनुशंसा की शक्तियां भी होंगी। इस प्रस्तावित बिल में बताया गया है कि इस प्राधिकरण के द्वारा किए गए किसी भी फैसले को न्यायालय में चुनौती भी नहीं दी जा सकेगी। फीस एक्ट – 2016 होने के बावजूद भी इस प्राधिकरण द्वारा निजी शिक्षण संस्थानों की फीस पर भी नियमन व नियंत्रण प्रस्तावित किया गया है। बता दे कि  राज्य सरकार ने 17 जनवरी 2023 को जरिए पब्लिक नोटिस इस बिल के साथ साथ राजस्थान कोचिंग इंस्टीट्यूट्स कंट्रोल एंड रेगुलेशन बिल – 2023 के विधानसभा में प्रस्तुत करने की जानकारी देते हुए 27 जनवरी तक इसमें अपने सुझाव मांगे थे। वहीं धीरे धीरे निजी शिक्षण संस्थानों के सामने इस बिल का प्रस्तावित मसौदा आ रहा है, सरकार के विरुद्ध असंतोष की भावना बढ़ती  जा रही है। निजी शिक्षण संस्थानों के संचालकों ने प्रस्तावित इस प्राधिकरण को अनावश्यक बताते हुए इसका विरोध कर रहे है ।प्राईवेट शिक्षण संस्थानों का कहना है कि जब 1989 एक्ट, 1993 एक्ट, आरटीई एक्ट – 2009, फीस एक्ट – 2016 जैसे चार चार अधिनियमों से निजी शिक्षण संस्थानों को नियमित व नियंत्रित किया जा रहा है तो इस बिल को थोपना निजी शिक्षण संस्थानों के अधिकारों को आघात पहुँचाना है।

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