Breaking News
Home / News / India / इंजीनियरिंग़ छोड़ बना किसान

इंजीनियरिंग़ छोड़ बना किसान

पहले इंजीनियरिंग की पढाई की। फिर बेंगलूरु में इंजीनियरिंग की नौकरी की। और फिर पिता के कहने पर बंगलूरु से नौकरी छोड गांव आकर फार्म हाउस संभाला। दिमाग पर खेती करने की धुन सवार हुई, तो खेती करने लगे।

नतीजा, इंजीनियरिंग की नौकरी में जितनी कमाई करते थे उससे कई गुना ज्यादा कमाई घर रहते हुए खेती से करने लगे। 6 एकड़ जमीन की सालाना कमाई पहुंचा दी 15 लाख रुपए।

ये सच्ची कहानी है मध्य प्रदेश के सिहोर जिले से सटे एक छोटे से गांव के इंजीनियर ब्रजेश की। ब्रजेश 1.5 साल पहले इंजीनियरिंग छोड़ खेती से जुड़ा। लेकिन ये सब हुआ पिता के कहने पर। पिता ने दिखाया खेती का जबरदस्त कमाई वाला भविष्य।

पिता की बात मानी

ब्रजेश के पिता बताते है कि उनके पास 6 एकड जमीन है। जिस पर वो परंपरागत खेती करते थे। 4 साल पहले उन्होंने 1.5 एकड जमीन में अमरुद का बाग तैयार किया। इस बीच बेटे की इंजीनियरिंग खत्म हो गई और वो बंगलूरु नौकरी करने चला गया। वो बेटे को खेती से जोड़ना चाहते थे। उन्होंने बेटे को फार्म हाउस संभालने को कहां और बेटे ने उनकी बात मान ली। वो बेंगलूरु से वापस आया और खेती करना शुरु कर दिया।

कैसे प्लान किया 15 लाख रूपए सालाना की कमाई का जरीया

इंजीनियर ब्रजेश ने खेती से मोटी कमाई के लिए अपनी पूरी खेती को 4 हिस्सों में बांट दिया और उन पर 4 अलग अलग प्रॉजेक्ट शुरु किए, ताकि पूरे साल अलग अलग मौसम के हिसाब से कमाई हो सके।

 

पहला प्रॉजेक्ट

कुल 6 एकड़ में से 1.5 एकड़ पर अमरूद का बाग लगाया और उससे होने वाली पैदावार को व्यापारियों को बेचने के बजाय सीधे भोपाल मंडी में बेचने का फैसला किया। नतीजा, पिछले साल 1.5 लाख रूपए के अमरूद बिके, जबकि इस साल ये करीब 3 लाख रूपए की पैदावार देने वाले हैं।

दूसरा प्रॉजेक्ट

कुल 6 एकड़ खेती के दूसरे हिस्से के रूप में एक एकड़ खेत पर सीताफल के पौधे लगाएं। जिन्हें महाराष्ट्र के सोलापुर से   लाया गया था। सोलापुर के सीताफल करीब 750 ग्राम प्रति फल की ऊपज देते हैं। ब्रजेश ने 1 एकड़ खेत में कुल 600 पौधे लगाए।

अब ये एक साल के हो चुके हैं और फल भी देने लगे हैं। इसी दौरान जब सीताफल के पौधे छोटे थे, तब ब्रजेश ने परंपरागत तरीके से प्याज की खेती भी इसी जमीन पर की। जिससे उनको 400 कट्टे प्याज की ऊपज मिली।

तीसरा प्रॉजेक्ट

तीसरे प्रॉजेक्ट के रूप में कुल 6 एकड़ खेती में से करीब 1 एकड़ जमीन पर पिछले साल पॉली हाउस लगाया। पॉली हाउस में पिछले सितंबर में शिमला मिर्च लगाई थी। दो महीने के बाद हर हफ्ते 20 से 25 क्विंटल मिर्च मिलने लगी। इस साल जून तक मिर्च की बिक्री से 6 लाख रुपए की आमदनी हुई।

चौथा प्रॉजेक्ट

नेट हाउस में करीब 1 एकड़ जमीन में ककड़ी प्लांटेशन किया। 23 मार्च को ककडी की बुआई शुरु की। इसके 1 महीने बाद अप्रैल से ककडी की 15 से 20 क्विंटल फसल बेची। औसत 10 रुपए किलो के हिसाब से ककडी की फसल 3 महीने तक बेची और 3 लाख रुपए कमाए।

इस तरह एक साल में औसत सीधा मुनाफा देखा जाए तो ब्रजेश महज 6 एकड़ जमीन में करीब 15 लाख रुपए की बचत कर जिलें में उन्नत किसान बन गए है। उनकी देखादेखी अब आसपास के लोग भी इसी तरह से अपनी खेती को अळग अलग हिस्सों में बांटकर खेती करने लगे हैं।

 

Check Also

प्रत्यूष धीमान पहुंचे बियानी कॉलेज किया युवाओं के दिलों पर राज

Share this on WhatsApp  अनुष्का शर्मा ।   अजियत’ हीरिये , नैनों में डूबे से …

Gurukpo plus app
Gurukpo plus app