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अनोखी है इस मंदिर की कृष्ण मूर्ति, आज भी मौजूद है चोट का निशान….

गुजरात राज्य का प्रसिद्ध वैष्णव तीर्थ डाकोर जी, भारत के प्रसिद्ध तीर्थों में से एक है। यहां पर बना रणछोड़ जी का मंदिर न सिर्फ अपनी शिल्प कला के लिए जाना जाता है, बल्कि भगवान कृष्ण के सुंदर स्वरूप के लिए भी प्रसिद्ध है। इस मंदिर के पीछे एक बहुत ही अनोखी बात जुड़ी हुई है। मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर में स्थित भगवान कृष्ण की मूर्ति को द्वारिका से चुरा कर यहां लाया गया था।

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मंदिर से जुड़ी कथा

प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, डाकोर जी के मंदिर की मूर्ति द्वारिका से लाई गई थी, जिसके पीछे एक बहुत ही रोचक कथा जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि बाजे सिंह नाम का एक राजपूत डाकोर में रहता था, वह भगवान रणछोड़ का बड़ा भक्त था। वह अपने हाथों पर तुलसी का पैधा उगाया करता था और साल में दो बार द्वारिका जा कर भगवान को तुसली दल अर्पित करता था। कई सालों तक वह ऐसा करता रहा। जब वह बूढ़ा हो गया और चलने फिरने में असमर्थ हो गया, तब एक रात उसके सपने में भगवान ने दर्शन दिए। भगवान ने उससे कहा कि अब द्वारिका आने की कोई जरुरत नहीं है और उसे द्वारिका के मंदिर से भगवान की मूर्ति उठा कर डाकोर जी लाने को कहा। बाजे सिंह ने भगवान के बताए हुए तरीके से आधी रात में द्वारिका के मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करके, भगवान की मूर्ति वहां से चुरा ली और यहां लाकर स्थापित कर दी।

मूर्ति पर आज भी है भाले का निशान

कहा जाता है कि सुबह जब मंदिर के दरवाजे खोले गए तब मंदिर से मूर्ति गायब होने की बात पता चली। यह बात जानने पर मूर्ति को ढूंढ़ना शुरू किया गया। यह बात पता चलने पर बाजे सिंह ने भगवान की मूर्ति यहां एक तालाब में छिपा दी। कहते हैं मूर्ति को ढूंढ़ने के लिए भालों से तालाब में टटोला जाने लगा। जिसके दौरान भाले की नोक मूर्ति में चुभ गई, जिसका निशान आज भी उस मूर्ति पर मौजूद है।

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