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प्रदेश  के किसानों को राहत देगी भुंगरू पद्धति

जयपुर। प्रदेश के किसानों को अब बारिश के पानी को खेतों में भरने और फसल चौपट होने की चिंता नहीं सताएगी । देश के सात राज्यों में सफल रही भुंगरू पद्धति प्रदेश के कई जिलों में वरदान साबित हो सकती है। केन्द्र की जीयो हाइड्रोलॉजिकल सर्वे डाटा रिपोर्ट के मुताबिक श्रीगंगानगर, हनुमान गढ़, चित्तौड़गढ़,प्रतापगढ़, भीलवाड़ा,बारां, कोटा और झालावाड़ जिलों में भुंगरू पद्धति से बेहतर परिणाम मिल सकते हैं। वहीं बीकानेर,जैसलमेर, जोधपुर और बाड़मेर में भी ये लाभदायक हो सकती है। इन जिलों में क्षारीय भूमि की वजह से बारिश का पानी ठहर जाता है। इससे जमीन में उर्वरक के कारण पानी आसानी से नीचे नही उतरता। भुंगरू की विशेष तकनीक से बरसाती पानी फिल्टर कर और बरसात के पानी को संग्रहीत कर भूगर्भ में में संग्रहीत किया जा सकता है। गौरतलब है कि भुंगरू शब्द गुजराती भाषा का शब्द है जिसका मतलब है पानी की नली या स्ट्रॉ, जिसके सिद्धांत पर भुंगरू सिंचाई का स्वरूप आधारित है। बोलचाल की भाषा में इसे उलटा बोरवेल या प्राकृतिक तरीके से जल संचित करना कह सकते हैं।

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